एयरफोर्स में पहली बार महिला को कॉम्बैट यूनिट की कमान, ये हैं इतिहास रचने वाली कैप्टन शैलजा धामी

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ABC NEWS: भारतीय वायुसेना ने ग्रुप कैप्टन शैलजा धामी को पश्चिमी सेक्टर में फ्रंटलाइन कॉम्बैट यूनिट की कमांड सौंपने का फैसला किया है. IAF के किसी कॉम्बैट यूनिट की कमान संभालने वाली धामी पहली महिला होंगी. वह 2003 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुई थीं. अधिकारियों ने महिला दिवस की पूर्व संध्या पर बताया कि धामी एक काबिल फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर हैं और उनके पास 2,800 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है. धामी फ्लाइंग ब्रांच की परमानेंट कमीशन प्राप्त करने वाली भी पहली महिला हैं। यूनिट के कमान के क्रम में देखें तो फ्लाइट लेफ्टिनेंट दूसरे नंबर का पद है.

इससे पहले सितंबर, 2019 में विंग कमांडर धामी को वायु सेना की फ्लाइंग यूनिट की पहली महिला फ्लाइट कमांडर बनने का गौरव प्राप्त हुआ था. वायुसेना के अधिकारी ने बताया कि धामी को एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ की ओर से दो बार कमांड किया जा चुका है. फिलहाल वह एक फ्रंटलाइन कमांड हेडक्वार्टर के ऑपरेशन ब्रांच में तैनात हैं. सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के डायरेक्टर जनरल रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने कहा, ‘कॉम्बैट और कमांड नियुक्तियों में महिला अधिकारियों के लिए यह एक और मील का पत्थर है. महिला ऑफिसर अब लीड करने को तैयार है.’

शैलजा धामी के घर-गांव और पेरेंट्स को जानें
पंजाब में लुधियाना के शहीद करतार सिंह सराभा गांव में पली-बढ़ी शैलजा को देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा अपने गांव की आबोहवा से मिला. इस गांव का नाम देश की आजादी में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शहीद के नाम पर रखा गया है. शैलजा के माता-पिता सरकारी नौकरी में थे. पिता हरकेश धामी बिजली बोर्ड के एसडीओ रहे और मां देव कुमारी जल आपूर्ति विभाग में थीं। लुधियाना में जन्मीं शैलजा ने सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई के बाद घुमार मंडी के खालसा कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की.

ग्रुप कैप्टन शैलजा धामी की पढ़ाई-लिखाई
12वीं की पढ़ाई के दौरान एनसीसी के एयरविंग में जाना शैलजा के जीवन में निर्णायक मोड़ साबित हुआ. इसी दौरान हिसार में आयोजित ओपन ग्लाइडिंग टूर्नामेंट में स्पॉट लैंडिंग में दूसरा स्थान हासिल करने के बाद शैलजा ने जैसे आसमान और हवाओं से दोस्ती कर ली, जो वक्त गुजरने के साथ साथ बढ़ती ही रही. बीएससी की पढ़ाई पूरी नहीं हुई थी और फ्लाइंग एयरफोर्स में उनका चयन हो गया. उनके कद को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति रही, लेकिन कुछ अड़चनों के बाद उन्हें वायुसेना में चुन लिया गया.

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