ABC NEWS: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने जुमे की नमाज के बाद नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने अल्लाह हू अकबर, तेरा मेरा रिश्ता क्या और ला इलाहा इलल्लाह जैसे कई नारे लगाए. इसके बाद छात्रों ने प्रॉक्टर को एक ज्ञापन सौंपा. यह प्रदर्शन छात्र को निलंबित किए जाने के विरोध में किया गया था.
गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में लगे थे धार्मिक नारे
दरअसल, एएमयू में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के दौरान धार्मिक नारे लगाए गए थे. छात्रों ने ये नारे एनसीसी कैडेट की ड्रेस में लगाए थे. इसका वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने इस्लामिक नारे लगाए थे. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मुस्लिम छात्र को निलंबित कर दिया था. मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी.
छात्रों का आरोप- एक पक्ष पर ही हुई कार्रवाई
हालांकि, बाद में कुछ और वीडियो वायरल हुए थे. उसमें हिंदू समुदाय के छात्र भी धार्मिक नारे लगा रहे थे. शुक्रवार को निलंबित मुस्लिम छात्र के समर्थन में जुमे की नमाज के बाद छात्रों ने जामा मस्जिद से लेकर बाबे सैयद गेट तक प्रदर्शन करते हुए मार्च निकाला. छात्रों का कहना था कि धार्मिक नारेबाजी दोनों तरफ से हुई थी. इसमें एक पक्ष पर ही कार्रवाई की गई है, जबकि दूसरे छात्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई.
छात्रों ने एएमयू के प्रॉक्टर को दिया ज्ञापन
मामले में एएमयू के प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने बताया, “26 जनवरी को धार्मिक नारे लगे थे. उस संदर्भ में वाहिदुज्जमा के छात्र को सस्पेंड कर दिया था. निलंबित छात्र के समर्थन में कुछ छात्र ज्ञापन देने आए थे. उनका कहना था कि यह निलंबन ठीक नहीं है. लिहाजा, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जो एक्शन लिया है, उसको बदलें और निलंबन वापस लें.”
बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर लोगों की अपनी-अपनी राय- प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली
मोहम्मद वसीम ने बीबीसी डॉक्युमेंट्री को सही बताने के सवाल पर बताया, “ऐसी कोई बात नहीं है. मेरे सामने किसी छात्र ने यह नहीं कहा कि बीबीसी डॉक्युमेंट्री सही है या गलत. डॉक्यूमेंट्री के पर लोगों की अपनी-अपनी अलग राय है. लोग इसको नहीं देख रहे हैं. कुछ चीजें सामने आई है, वह सोशल मीडिया पर है. हर आदमी की अपनी-अपनी राय हो सकती है. किसी की राय के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते.”