अतीक के जिंदा बचे कुत्‍तों को मिला दूध और मीट, नगर निगम अफसरों ने पुलिस को बताया क़ानून

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ABC NEWS: उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद के परिवार वालों की फरारी से अब उसके कुत्ते भूख से मर रहे हैं. शनिवार को लगातार दूसरे दिन विदेशी नस्ल (ग्रेड डेन) के एक और कुत्ते टाइगर की मौत हो गई. हालांकि अफसर टाइगर का शव मिलने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन जिस बाड़े में माफिया ने कुत्तों को पाला था, उसमें अब पांच में से तीन ही कुत्ते बचे हैं. लगातार दूसरे कुत्ते की मौत के बाद नगर निगम और प्रशासन की टीम शनिवार को मौके पर पहुंची और यह तय हुआ है कि जब तक बाकी बचे तीन कुत्तों को कोई गोद नहीं लेता तब तक नगर निगम उनके भोजन का प्रबंध करेगा. बचे हुए कुत्तों को दूध, मीट खिलाया गया. इस बीच नगर निगम अधिकारियों ने पुलिस को पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 34 के कागज भी सौंपे.

माफिया अतीक अहमद विदेशी नस्ल के कुत्ते पालने का शौक है. अतीक के राज में जिन कुत्तों को खाने में बिरयानी मिलती थी, उन्हें परिवार के सदस्यों के फरार होने के बाद रोटी भी मयस्सर नहीं हो रही है. लगातार दो दिन में दो कुत्तों की मौत के बाद शनिवार को नगर निगम व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की टीम पहुंची. लोगों का आरोप है कि टाइगर का शव नगर निगम की टीम पहले ही लेती गई थी, जबकि अधिकारी शव न मिलने की बात कहते रहे.

सीवीओ अनिल कुमार का कहना है कि मादा श्वान ब्रूनो की मौत तीन से चार दिन पहले हुई, उसके शव में कीड़े पड़ गए थे. ऐसे में पोस्टमार्टम संभव नहीं है. बचे हुए कुत्तों का परीक्षण किया जा रहा है. कुत्ते स्वस्थ्य हैं, भूखे हैं. नगर निगम के पशुधन अधिकारी डॉ. विजय अमृत राज ने बताया कि कुत्तों की देखभाल करने के लिए दो टीम लगाई गई हैं. इनके भोजन का प्रबंध किया जा रहा है. मौके पर सफाई करा दी गई है.

पशु क्रूरता अधिनियम की दिखाई कॉपी
माफिया के कुत्तों को कोई भी लेने को तैयार नहीं था। नगर निगम की टीम ने जब खुल्दाबाद पुलिस को इसकी जानकारी दी तो पुलिस ने भी हाथ पीछे खींच लिए. इसके बाद निगम के अफसरों ने पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 34 के कागज पुलिस को सौंपे. जिसमें पुलिस को ऐसे मामलों में अधिकार है कि वो पशुओं को अपने कब्जे में ले. इसके बाद मौके पर कार्रवाई शुरू हो सकी.

कुत्तों को मिला दूध और मीट
कुत्तों की मौत की सूचना पर मौके पर रक्षा एनजीओ की वंशिका अपनी टीम के साथ पहुंचीं. वंशिका ने बताया कि जितने स्थान पर यह कुत्ते रहते हैं, उसकी जगह तो नहीं है, लेकिन नगर निगम और उनकी टीम ने बचे हुए कुत्तों को दूध, मीट खिलाया है. आगे भी भरसक भोजन का प्रबंध किया जाएगा.

लखनऊ भेजा जा सकता है
नगर निगम के पास विदेशी नस्ल के कुत्तों को रखने के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर नहीं है. इस कारण लखनऊ नगर निगम से संपर्क किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि पत्राचार किया जा रहा है. जल्द ही शेष बचे तीन कुत्तों को लखनऊ भेज दिया जाएगा.

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