ABC NEWS: बसपा की मुखिया मायावती के करीबी नेता बेहद कम ही हैं. नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्य, नरेंद्र कश्यप समेत कई नेता जो कभी मायावती के करीबियों में से थे, आज बसपा से बाहर हैं. ऐसे में कोई नेता उनका करीबी हो और वह उनका रिश्तेदार भी बने तो हर कोई उसके बारे में जरूर जानना चाहेगा. ऐसे ही नेता हैं, अशोक सिद्धार्थ. वह मायावती के समधी बनने वाले हैं क्योंकि उनकी बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से मायावती के भतीजे आकाश आनंद की शादी होने वाली है. यह शादी 26 मार्च को होनी है और नोएडा में इसका भव्य आयोजन किया जा सकता है, जिसमें हजारों लोग आ सकते हैं.
मायावती की बहू बनने जा रहीं प्रज्ञा सिद्धार्थ ने एमबीबीएस की पढ़ाई की है और पिता की तरह ही पेशे से डॉक्टर हैं. अशोक सिद्धार्थ के बारे में कहा जाता है कि वह बसपा के ऐसे लो प्रोफाइल नेता हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर ही काम करते रहे हैं और चर्चाओं से परे रहने की आदत है. फिर भी वह मायावती के बेहद करीबी नेताओं में से हैं. यही वजह है कि एक दौर में सरकारी नौकरी छोड़कर वह सियासत में आए थे. इसके बाद मायावती ने उन्हें एमएलसी बनाया और 2016 में राज्यसभा भी भेजा था. सतीश चंद्र मिश्र के साथ राज्यसभा जाने वाले नेता वही थे.
अशोक सिद्धार्थ ने मायावती के कहने पर छोड़ी थी राजनीति
दलित समुदाय से ही ताल्लुक रखने वाले अशोक सिद्धार्थ की पत्नी मायावती के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. ट्विटर पर भी अशोक सिद्धार्थ खासे ऐक्टिव रहते हैं और मायावती की नीतियों का प्रचार-प्रसार करते दिखते हैं. आकाश आनंद से शादी के बाद मायावती से उनकी करीबी रिश्तेदारी में भी तब्दील हो जाएगी. आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं, जो रियल डिवेलपर के तौर पर काम करते हैं. आकाश आनंद को मायावती का राजनीतिक वारिस बनाया जा सकता है. ऐसी चर्चाएं भी अकसर बसपा में अंदरखाने होती रही हैं.
आकाश आनंद को क्यों माना जाता है मायावती का वारिस
आकाश आनंद को मायावती ने काफी समय से युवाओं को जोड़ने का काम दिया हुआ है. वह फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. इसके अलावा सिद्धार्थ अशोक के पास कई राज्यों का प्रभार रहा है, जिनमें आंध्र प्रदेश और गुजरात भी शामिल हैं. खबर है कि दूसरे दलों के भी कई बड़े नेताओं को शादी का न्योता भेजा जाएगा. इसके अलावा बसपा के 20 से 25 नेता और कार्यकर्ता यूपी के हर जिले से आयोजन में शिरकत करेंगे. बता दें कि बसपा 2012 से ही लगातार राजनीतिक शिकस्तों का सामना कर रही है.