ABC NEWS: टीवी और डिजिटल माध्यमों पर रोजाना नए-नए ऐड प्रसारित होते रहते हैं, लेकिन उसमें से कुछ पर हंगामा मच जाता है. इन दिनों स्टारबक्स के एक ऐड पर बवाल मचा हुआ है. इसके विरोध में ट्विटर पर बॉयकॉटस्टारबक्स का हैशटैग ट्रेंड करवाया जा रहा है. यह ऐड 10 मई को ट्विटर पर पोस्ट किया गया है, जोकि वायरल हो गया. तब से अब तक साढ़े आठ लाख से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. दरअसल, यह ऐड सेक्स चेंज के मुद्दे पर है, जिसकी वजह से सोशल मीडिया यूजर्स उबल पड़े. लोगों ने कहा कि क्या ऐड में अर्पित और अर्पिता की जगह क्या सलमा और सलमान नाम से विज्ञापन बनाया जा सकता है.
Your name defines who you are – whether it’s Arpit or Arpita. At Starbucks, we love and accept you for who you are. Because being yourself means everything to us. #ItStartsWithYourName. ? pic.twitter.com/DKNGhKZ1Hg
— Starbucks India (@StarbucksIndia) May 10, 2023
ऐड में दिखाया गया है कि एक माता-पिता अपने बेटे का स्टारबक्स में इंतजार कर रहे होते हैं. अर्पित नाम का उनका बेटा लिंग परिवर्तन करवाकर अब अर्पिता बन चुका है. इसे लेकर अर्पिता बन चुके अर्पित की मां अपने पति को समझाती हैं कि वह गुस्सा न करे. तभी कुछ देर में अर्पिता के रूप में अर्पित वहां आता है. वह कहता है कि इतने सालों के बाद मुझसे मुलाकात करने के लिए धन्यावाद पापा. आज भी आप मेरे लिए सबकुछ हो. इसके बाद उसके पिता उससे कॉफी के लिए पूछते हैं और जाकर ऑर्डर करते हैं. ऐड में वह आगे कहते हैं कि तेरी आदत नहीं बदली हैं. बेटा मेरे लिए आज भी तू मेरा बच्चा है, बस एक शब्द ही तुम्हारे नाम में ऐड हुआ है.
ट्विटर पर पोस्ट करने के बाद से ही ऐड पर विवाद छिड़ा हुआ है. लोग स्टारबक्स के बॉयकॉट की बात कर रहे हैं. विवेक नामक यूजर कहते हैं कि स्टारबक्स का ऐड कुछ इस तरह से है कि हम वोक हैं, इसलिए सभी लोग मिलकर वोक बन जाते हैं. रजनीत नामक यूजर का कहना है कि दुनियाभर में तमाम मुद्दे हैं, लेकिन यह हर किसी के ध्यान में लाने योग्य है. सर्वोच्च क्रम का वोकिज्म। प्रांजल चौधरी नामक यूजर लिखते हैं कि स्टारबक्स आपको उस एजेंसी को तुरंत हटाने की जरूरत है, जिसने आपके लिए यह ऐड बनाया है.
‘सलमान नहीं, सलमा कैंपेन चला सकते हैं?’
‘द वॉयस’ नामक एक ट्विटर हैंडल से कहा गया कि क्या आप सलमान नहीं, सलमा कैंपेन को जेद्दाह, रियाद आदि में चला सकते हैं? कृष्णा नाम के एक शख्स ने कहा कि हमारे वर्तमान युग में सांस्कृतिक पहचान के तेजी का तेजी से नीचे जाना बेहद निराशाजनक है. कुछ लिबरल ताकतें उन प्रथाओं को लगातार सामान्य करती हैं जो हमारी पोषित परंपराओं और गहरे मूल्यों के ताने-बाने को कमजोर करती हैं. जिस गति से यह परेशान करने वाली घटना सामने आती है वह वास्तविक चिंता का विषय है. यह कोई संयोग नहीं है. वहीं, कई यूजर्स ने इसमें धर्म का एंगल भी दे दिया है. एक का कहना है कि यह आप भारत में तो ऐसे ऐड बना सकते हैं, लेकिन क्या मिडिल ईस्ट में बनाएंगे? मैं इसे अपने कलीग्स और दोस्तों को दिखाने जा रहा हूं.