दूसरे जैन मुनि ने भी त्यागे प्राण, सम्मेद शिखरजी को लेकर आमरण अनशन कर रहे थे

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ABC News: सम्मेद शिखर को बचाने के लिए आमरण अनशन पर बैठे दूसरे जैन मुनि का भी निधन हो गया. जयपुर के सांगानेर स्थित संघी जी जैन मंदिर में 3 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे मुनि समर्थ सागर का गुरुवार की रात को निधन हो गया. इससे पहले मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने सम्मेद शिखर के लिए अपने जान दे दी थी.

मुनि समर्थ सागर महाराज का गुरुवार की मध्य रात्रि 1.20 बजे निधन हो गया. वे मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के निधन के बाद अन्न-जल का त्याग कर आमरण अनशन पर बैठ गए थे. शुक्रवार को सुबह 8.30 बजे संघी जी जैन मंदिर से मुनिश्री की डोल यात्रा निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुगण शामिल हुए और आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में जैन परंपराओं के अनुसार उनके देह को पंचतत्व में विलीन किया गया. बता दें कि सांगानेर स्थित जैन समाज के मंदिर में सम्मेद शिखर को बचाने के लिए मुनि सुज्ञयसागर अनशन पर बैठ गए थे. नौ दिनों बाद यानी मंगलवार को मुनि सुज्ञयसागर का निधन भी हो गया था. अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि सम्मेद शिखर जैन तीर्थ जैन समाज और साधु समाज में कितना महत्व रखता है, इसका अंदाजा ना केंद्र सरकार लगा रही है और ना ही झारखंड सरकार लगा रही है. पिछले 4 दिनों में मुनि समर्थ सागर महाराज दूसरे मुनिराज हैं, जिन्होंने सम्मेद शिखर जी को लेकर अपना देह त्यागा है. गुरुवार को केंद्र सरकार ने जो ऑर्डर जारी किया है, वह केवल जैन समाज को गुमराह करने के लिए जारी किया है. जिसका फायदा सत्ता के बल पर उठाया जा रहा है. अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि जो ऑर्डर जारी किया है, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है. क्योंकि केंद्र सरकार ने ना 2 अगस्त 2019 का गजट नोटिफिकेश रद्द किया और ना ही ‘पर्यटक’ शब्द हटाया. ना ही तीर्थ स्थल की घोषणा की. इसके अलावा जो इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था, केवल उस पर रोक लगाई है, जबकि उसे रद्द करना था. झारखंड और केंद्र सरकार पत्रबाजी कर केवल फुटबाल मैच खेल रही है किंतु जैन समाज इनके षड्यंत्रों से गुमराह नहीं होगा और आंदोलन यथावत जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि मुनि सुज्ञेय सागर महाराज और मुनि समर्थ सागर महाराज के बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा. सम्मेद शिखर जैन तीर्थ था, है और रहेगा. केंद्र और झारखंड सरकार को ‘तीर्थ स्थल’ हर हाल में घोषित करना ही होगा. अगर सरकार ने समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो जैन समाज मुनिराजों के मार्गों पर चलकर अपने देह त्यागने से पीछे बिल्कुल भी नहीं हटेगा. बता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिले में अवस्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखरजी के रूप में विख्यात है.

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