अखिलेश यादव के काफिले के साथ हादसा, छह गाड़ियां आपस में टकराईं, कई घायल

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ABC NEWS: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव का काफिला आज हादसे का शिकार हो गया. काफिले की आधा दर्जन गाड़ियां आपस में टकरा गईं. यूपी के हरदोई में उनकी कारों के काफिले का एक्सीडेंट हो गया है. इसमें कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं और चार लोग घायल भी हो गए, जिनको प्राथमिक उपचार के लिए सीएचसी में भर्ती कराया गया. अखिलेश यादव को इस हादसे में कोई चोट नहीं आई है, उनकी कार के पीछे आ रही गाड़ियों की आपस में टक्कर हुई थी.

अखिलेश यादव यहां हरपालपुर के बैठापुर में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए जा रहे थे. इस बीच मल्लावा बिलग्राम रोड के खेमीपुर गांव के पास (फरहत नगर रेलवे क्रासिंग के पास) हादसा हुआ. हादसे के बाद के कुछ वीडियोज भी सामने आए हैं. इसमें चार से ज्यादा गाड़ी क्षतिग्रस्त दिख रही हैं. गाड़ियों के आसपास लोग जमा हैं. साथ ही एंबुलेंस भी वहां पर है.

कैसे हुआ हादसा?

जानकारी के मुताबिक, फरहत नगर रेलवे क्रासिंग पर ब्रेकर के निकट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की फ्लीट में शामिल वाहन आगे निकल गए और काफिले में शामिल कार्यकर्ता ने ब्रेकर के कारण कार में ब्रेक लगा दी. इस वजह से पीछे चल रहे  वाहन आपस में टकरा गए.

हादसे में वाहनों में सवार रूदामऊ के नसीम खान, बिलग्राम के मुनेंद्र यादव, संडीला के वसीम वारसी और कप्तान सिंह घायल हो गए. घायलों को कार्यकर्ताओं ने कार से बाहर निकाला और एंबुलेंस से सीएचसी ले जाया गया. अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अनिल कुमार  ने बताया कि असल में टक्कर पूर्व मुख्यमंत्री के काफिले के वाहनों की नहीं हुई थी. बल्कि उनके साथ चल रहे कार्यकर्ताओं के वाहनों की हुई थी.

अखिलेश यादव का यह एक दिवसीय हरदोई दौरा पहले से तय था. वह दोपहर 11 बजे करीब लखनऊ से हरदोई के लिए निकले थे. शाम 4.30 बजे तक उनको लखनऊ वापस पहुंचना था.

इससे पहले कल गुरुवार को अखिलेश यादव का मुरादाबाद दौरा चर्चा में रहा था. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया था कि योगी सरकार के दबाव में आकर कमिश्नर और डीएम ने मुरादाबाद में अखिलेश यादव के प्लेन को लैंड होने की अनुमति नहीं दी थी. सपा का कहना था कि ये कार्यक्रम पहले से तय था. सपा ने इसे बेहद निंदनीय एवं अलोकतांत्रिक बताया था.

अखिलेश यादव की पार्टी सपा इन दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की वजह से विरोध का शिकार हो रही है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति जताकर उनको हटाने की मांग की थी. काफी विरोध के बाद भी उन्होंने अपना बयान वापस नहीं लिया था. इसके बाद सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को महासचिव भी बना दिया था. इसपर बीजेपी का विरोध और तेज हो गया. बीजेपी का कहना था कि रामचरितमानस के अपमान का पुरस्कार मौर्य को दिया गया है.

दरअसल, अखिलेश यादव ने 42 सदस्यीय समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हाल ही में पार्टी में शामिल हुए शिवपाल सिंह यादव, आजम खान के साथ साथ रामचरितमानस पर बयान देकर विवाद खड़ा करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को शामिल किया था.

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