ABC NEWS: किसान बाबू सिंह की खुदकुशी मामले में ढाई महीने से फरार चल रहा भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर शुक्रवार को गुपचुप तरीके से अपने अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित के साथ सीएमएम कोर्ट में हाजिर हो गया. अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित की ओर से कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देकर उसके साथ हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी दाखिल की गई. हाईकोर्ट के पांच दिसंबर तक पुलिसिया कार्रवाई पर रोक के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारंट व कुर्की की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई.
बता दें कि प्रियरंजन आशू की ओर से दाखिल शपथपत्र ने सभी को चौंका दिया है. प्रियरंजन के अधिवक्ता का दावा है कि रिपोर्ट दर्ज होने के बाद वह पुलिस के संपर्क में रहा और विवेचना में सहयोग करने व अपना पक्ष रखने के लिए एसीपी कार्यालय भी पहुंचा.
साथ ही फोन के माध्यम से भी विवेचक के संपर्क में रहा. इस दौरान न तो उसकी गिरफ्तारी की गई और न ही उसे बताया गया कि वह मुकदमे में वांछित है। इस पर सरकार की ओर से जवाब के लिए समय मांगा गया है. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय कर दी और तब तक पुलिसिया कार्रवाई पर रोक की अवधि भी बढ़ा दी.
कानपुर के चकेरी निवासी किसान बाबू सिंह ने 9 सितंबर 2023 की सुबह रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी थी. बाबू ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था। बाबू की पत्नी ने चकेरी थाने में भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन आशू दिवाकर, बब्लू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडे, शिवम सिंह चौहान, जितेंद्र यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.