ABC News: मेडिकल छात्रा पाखी स्वाइन फ्लू की चपेट में आकर दुनिया को अलविदा कह चुकी है. उसकी मौत से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राएं दुखी भी हैं तो अफसरों के रवैये से नाराज भी. गुरुवार को मेडिकल कॉलेज परिसर में छात्र-छात्राओं ने पाखी को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने कहा कि लापरवाही, संवेदनहीनता और जिम्मेदारों की जिम्मेदारी पर कई सवाल छोड़ खड़े हुए हैं. 16 दिन तक पाखी का इलाज चला पर इसके बावजूद बचाया नहीं जा सका. चिंताजनक है कि हैलट के डॉक्टरों के मुताबिक पूरा अमला लगा रहा पर अपने ही स्टूडेंट को ठीक न कर सका. हद है कि अब जिम्मेदारों को बचाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. कार्रवाई का डर है इसलिए अपनी ओर से पहल करते हुए जिम्मेदारी तय करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना दी गई है जो मेडिकल छात्र-छात्राओं के बयान के आधार पर दोष तय करेगी. मंगलवार से बयान लेने शुरू कर दिए हैं. पाखी की मौत के बाद उसके साथी छात्र-छात्राएं गम के साथ गुस्से में भी हैं. व्यवस्थाओं को लेकर जब उन्होंने सवाल दागे तो हैलट इमरजेंसी में सीनियर्स निरुतर हो गए.
स्टूडेंट्स का कहना है कि कॉलेज परिसर में फैली गंदगी और हॉस्टल की अव्यवस्था को काफी समय से उठाया जा रहा था पर किसी ने भी कभी ध्यान नहीं दिया. यह कुप्रबंधन भावी डॉक्टरों की सेहत के लिए काल बन रहा है. शर्मनाक यह है कि जिस दिन पाखी की हालत बिगड़ी, उसे एंबुलेंस तक मुहैया कराने की मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जहमत नहीं उठाई. गर्ल्स हॉस्टल से सहेलियों की स्कूटी से उसे हैलट इमरजेंसी भेजा गया. जिंदा में नहीं पर मरने के बाद मंगलवार को उसी एम्बुलेंस से उसका शव बाराबंकी भेजने के इंतजाम कर दिए गए. अब जब वह नहीं रही तो जीएसवीएम प्रशासन को परिसर में गंदगी और हॉस्टल की अव्यवस्था का ध्यान आया. इसे लेकर दोष तय करने के लिए एनाटॉमी हेड डॉ.सुनीति राज पांडेय, पैथोलॉजी हेड डॉ.सुमनलता वर्मा और एसआईसी डॉ.आरके मौर्या की कमेटी बनाई गई है, जो मेडिकल स्टूडेंट्स के बयानों के आधार पर दोषियों का दोष तय करेगी.