ABC NEWS: कानपुर में तैनात रहे एक अधिकारी का फ्री में सैलरी लेने का मामला सामने आया है. वह डेढ़ साल से बिना कार्यालय आए और उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर किए बिना वेतन बैंक से लेते रहे. वर्तमान में उन्नाव जिले के प्रभारी जिला युवा कल्याण अधिकारी अनिल तिवारी ने वेतन के रूप में 15.30 लाख रुपये निकाल लिए.
CDO सुधीर कुमार का कहना है कि अलग-अलग कार्यालयों के उपस्थिति रजिस्टर की जांच करने पर बिना हस्ताक्षर युवा कल्याण अधिकारी अनिल के वेतन निकालने का फर्जीवाड़ा मिला है. वित्तीय अनियमितता को लेकर नोटिस देकर जांच शुरू कराई है. कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, अनिल की मूल तैनाती कानपुर जिले में है लेकिन उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर किए बिना वेतन नहीं निकाला जा सकता. बीते दिनों जब मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) सुधीर कुमार ने विभागीय कर्मियों की उपस्थिति जांचने को रजिस्टर देखे तो यह गड़बड़ी पता चली. सीडीओ ने इस फर्जीवाड़े को लेकर जिला युवा कल्याण अधिकारी आरती जायसवाल को नोटिस देकर जवाब तलब किया है.
जिले में ग्रामीण युवाओं की खेल प्रतिभा निखारने के लिए 10 ब्लाकों में अलग-अलग क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी कार्यरत हैं. अनिल तिवारी कल्याणपुर ब्लाक में क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, लेकिन शुरू से ही विकास भवन स्थित जिला कार्यालय में संबद्ध रहकर कार्य करते रहे. इसमें वह पीआरडी जवानों की ड्यूटी लगाने, मस्टर रोल चेक करने, खेलकूद व विभागीय बजट का पूरा लेखाजोखा संभालते रहे.
वर्ष 2020 में शासन से नए क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी की तैनाती की तो इनकी जगह ऋचा मिश्रा को चार्ज दिया गया लेकिन उन्हें भी कार्यालय में संबद्ध कर लिया गया. इसके बाद अनिल को उन्नाव का प्रभारी जिला युवा कल्याण अधिकारी बना दिया गया. उन्हें तीन दिन कानपुर और तीन दिन उन्नाव में काम करना था। विभागीय उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने थे.
अनिल के उन्नाव का प्रभार संभालने के बाद से अब तक यहां के कार्यालय में उपस्थिति रजिस्टर में न उनका नाम लिखा गया और न ही उन्होंने हस्ताक्षर किए. प्रत्येक माह 85 हजार रुपये वेतन निकाला जाता रहा. नियम के तहत कर्मचारी की मूल तैनाती स्थल पर बिना उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर किए वेतन नहीं निकाला जा सकता.