अयोध्या में जलाई गई गुजरात से लाई 108 फीट लंबी अगरबत्ती… डेढ़ महीने तक बिखेरेगी खुशूब Video

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ABC NEWS: अयोध्या में वो शुभ वेला करीब आ गई है. नए राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान मंगलवार से शुरू हो गए हैं. आज प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन अनुष्ठान किया जा रहा है. अयोध्या के सरयू तट पर विष्णु पूजा और गौ दान होगा. 17 जनवरी को राम लला की मूर्ति का परिसर प्रवेश होगा. 18 जनवरी को तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास, 19 जनवरी की सुबह औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और शाम को धान्याधिवास होगा. 20 जनवरी की सुबह शर्कराधिवास, फलाधिवास और शाम को पुष्पाधिवास, 21 जनवरी की सुबह मध्याधिवास और शाम को शय्याधिवास होगा. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे. काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे. 18 जनवरी को रामलला की श्यामवर्ण मूर्ति गर्भगृह में विराजित होगी. यह मूर्ति कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाई है.

मूर्तिकार अरुण योगीराज के परिवार में खुशी

कर्नाटक के मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगीराज के परिवार में खुशी का माहौल है. अरुण की बनाई मूर्ति को अयोध्या में राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए चुना गया है. योगीराज की मां सरस्वती ने कहा, यह बहुत खुशी की बात है कि उनके बेटे द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन किया गया है. जब से हमें खबर मिली है कि अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति को स्थापना के लिए चुना गया है, हम बेहद खुश हैं. पूरा परिवार खुश है. बेटे ने सुबह मुझसे बात की और कहा कि उनके आदर्श का चयन कर लिया गया है. इससे पहले सोमवार को मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि नई मूर्ति में भगवान को पांच साल की बाल्यावस्था के रूप में खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है. इसे 18 जनवरी को ‘गर्भगृह’ में ‘आसन’ पर रखा जाएगा. अरुण योगीराज ने केदारनाथ में स्थापित की गई आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई है सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को भी बनाया है.

गुजरात से आई 108 फीट लंबी अगरबत्ती जलाई गई

गुजरात से आई 108 फीट लंबी अगरबत्ती को मंगलवार को अयोध्या में जलाया गया. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज की मौजूदगी में इस अगरबत्ती को जलाया गया. यह अगरबत्ती पर्यावरण के अनुकूल है. यह करीब डेढ़ महीने तक चलेगी और इसकी सुगंध कई किलोमीटर तक फैलेगी. इस अगरबत्ती का वजन 3,610 किलोग्राम है और यह लगभग 3.5 फीट चौड़ी है. अगरबत्ती तैयार करने वाले वडोदरा के विहा भरवाड ने बताया, 376 किलोग्राम गुग्गुल (गोंद राल), 376 किलोग्राम नारियल के गोले, 190 किलोग्राम घी, 1,470 किलोग्राम गाय का गोबर, 420 किलोग्राम जड़ी-बूटियों को मिलाकर अगरबत्ती को तैयार किया गया है. इसकी ऊंचाई दिल्ली में प्रतिष्ठित कुतुब मीनार की लगभग आधी है.

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