गुजरात के मुसलमानों में होगा AAP-ओवैसी का दांव फेल? कांग्रेस कर सकती है खेल

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ABC NEWS: गुजरात चुनाव में यह लंबे समय तक माना जाता रहा कि मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहता है. इतिहास में पहली बार ऐसा मौका आया जब समुदाय के वोटर्स को आम आदमी पार्टी (AAP) और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के रूप में विकल्प मिलता नजर आया था. दोनों ही दल सक्रिय नजर भी आए हालांकि, जैसे-जैसे गुजरात के रण रंग में आया, ऐसा लगने लगा कि समुदाय के मतदाता कांग्रेस की ही ओर दोबारा देख सकते हैं.

पहले गणित समझें

गुजरात 6 करोड़ से ज्यादा की आबादी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 10 प्रतिशत है. कहा जाता है कि 182 विधानसभा वाले गुजरात में 42 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स बड़ी भूमिका निभाते हैं. फिलहाल, गुजरात विधानसभा में तीन मुस्लिम विधायक हैं. ये सभी कांग्रेस पार्टी से जुडे़ हैं. इस बार कांग्रेस ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, AIMIM ने 14 उम्मीदवार उन सीटों पर उतारे हैं, जहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या मं है. आप ने तीन मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं.

निकाय चुनाव बना आधार

आप और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के लिए गुजरात में निकाय चुनाव अहम साबित हुए थे. एक ओर जहां आप ने 120 में से 27 सीटें जीती. वहीं, AIMIM ने 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर 26 सीटें अपने नाम की.

यहां बिगड़ी बात!

कहा जा रहा है कि गुजरात में निकाय चुनाव के बाद ही AIMIM के लिए हालात बदलने लगे थे. गुजरात में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने दल छोड़ दिया और ओवैसी को भाजपा की बी टीम बताया. पार्टी के पूर्व प्रवक्ता शमशाद पठान कहते हैं, ‘हमने जैसे ही विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू की, तो यह साफ हो गया कि हम कोई भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं हैं. हम केवल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे और भाजपा को फायदा होगा. इसलिए हमने सक्रिय रूप से समुदाय में संदेश जारी करना शुरू किया कि AIMIM के लिए वोट नहीं करें, क्योंकि यह उनकी किसी तरह मदद नहीं करेगा.’

अल्पसंख्यक समिति के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता मुजाहिद नफीस एक चैनल से बातचीत में कहते हैं, ‘शुरुआत में आप के चुनावी वादों से मुस्लिम युवा उत्साहित हुए थे, लेकिन बिल्किस बानो के मामले में और खेड़ा में नवरात्रि के दौरान पुलिस की पिटाई पर अरविंद केजरीवाल की चुप्पी को देखते हुए लोगों ने उन्हें भाजपा का दूसरा अवतार समझा.’ साल 2020 में कोविड के दौरान तबलीगी जमात को लेकर केजरीवाल के बयान ने पार्टी को प्रभावित किया है.

कांग्रेस क्यों है पसंद

नफीस का मानना है कि मुसलमान कांग्रेस से भी पूरी तरह खुश नहीं है, लेकिन कम से कम पार्टी ने समुदाय से बातचीत तो जारी रखी है. उन्होंने कहा, ‘11.5 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय में मुसलमान, पारसी और यहूदी होने के बावजूद सरकार में अल्पसंख्यक विभाग नहीं है. कांग्रेस ने इसका वादा अपने घोषणापत्र में किया है.’

शिक्षा बड़ा मुद्दा

नफीस मुसलमानों के बीच शिक्षा को सबसे बड़ा मुद्दा बताते हैं और सरकार की तरफ से सस्ती शिक्षा मिलने की बात करते हैं. उनका कहना है कि गुजरात में प्राथमिक शिक्षा में लड़कियों के बीच ड्रॉप रेट 1.98 फीसदी है। जबकि, मुसलमानों के बीच यह आंकड़ा 10.58 प्रतिशत है.

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