कब है सावन का अंतिम प्रदोष? बन रहे 5 शुभ संयोग, सौभाग्य योग में शिव पूजा, जानें मुहूर्त

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ABC NEWS: सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 28 अगस्त दिन सोमवार को है. उस दिन प्रदोष व्रत पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं. प्रदोष के दिन अंतिम सावन सोमवार, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग है. प्रदोष शिव पूजा सौभाग्य योग में होगी. प्रदोष व्रत सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है. त्रयोदशी तिथि में देवों के देव महादेव की पूजा सूर्यास्त के बाद करने का विधान है. इस दिन सावन सोमवार और प्रदोष व्रत का संयोग है, इसलिए रुद्राभिषेक के लिए यह दिन बहुत ही उत्तम है.

सावन अंतिम प्रदोष व्रत 2023 का शुभ मुहूर्त क्या है?
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि सावन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त को शाम 06:48 पी एम से लेकर 29 अगस्त मंगलवार को 02:47 पी एम तक है. प्रदोष पूजा के लिए सूर्यास्त के बाद का समय महत्वपूर्ण होता है. 28 अगस्त को ही त्रयोदशी तिथि में सूर्यास्त बाद का मुहूर्त प्राप्त हो रहा है, इस वजह से उस दिन ही सावन का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा.

सावन अंतिम प्रदोष व्रत पर कौन से 5 शुभ संयोग बन र​हे हैं?
1. आयुष्मान योग: प्रात:काल से लेकर सुबह 09:56 ए एम तक
2. सौभाग्य योग: सुबह 09:56 ए एम से पूरी रात तक
3. सर्वार्थ सिद्धि योग: मध्यरात्रि 02:43 ए एम से 29 अगस्त को सुबह 05:57 ए एम तक
4. रवि योग: मध्यरात्रि 02:43 बजे से 29 अगस्त को सुबह 05:57 बजे तक
5. सावन प्रदोष के दिन सावन सोमवार व्रत

सावन अंतिम प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त क्या है?
28 अगस्त को प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:48 पी एम से रात 09:02 पी एम तक है. आपको शिव पूजा के लिए दो घंटे से अधिक का शुभ समय प्राप्त होगा. प्रदोष व्रत की पूजा दिन में नहीं करते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. उस समय पूजा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है.

सावन अंतिम प्रदोष व्रत और पूजा ​विधि
1. व्रत के दिन सुबह में फलाहार पर रहें. दैनिक पूजा सुबह में कर लें. उसके बाद शाम को शिव मंदिर में या घर पर ही पूजा करें.

2. शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का आह्वान करें. फिर गंगाजल और गाय के दूध से शिवलिंग अभिषेक करें. बेलपत्र, चंदन, फूल, माला, अक्षत्, धूप आदि से भगवान भोलेनाथ की पूजा करें. अगर आपके पास मदार पुष्प, शमी के पत्ते, धतूरा आदि हों तो उनको भी चढ़ा दें.

3. शिव पूजा में तुलसी, हल्दी, सिंदूर, नारियल आदि का उपयोग न करें. यदि अंतिम प्रदोष पर आपको रुद्राभिषेक कराना है तो सुबह से ही उत्तम समय है.

4. शिव जी को प्रसन्न करने के लिए शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. भगवान शंकर आपकी रक्षा करेंगे. इस दिन पूजा करते समय सोम प्रदोष व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें. फिर शिव जी की आरती कर लें.

5. पूजा के अगले दिन 29 अगस्त को सूर्योदय के बाद पूजा पाठ करें. ब्राह्मणों को दान दें और फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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