कब है मोक्षदा एकादशी? जानें कैसे करें ये व्रत, पूजा से जुड़े सभी नियमों की लें संपूर्ण जानकारी

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ABC NEWS: मोक्षदा एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है, मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक ही दिन पड़ती हैं. कहते हैं मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से यज्ञ के बराबर फल मिलता है. साल 2023 में मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर शुक्रवार को है, लेकिन इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत दो दिन किया जाएगा.

जीवन के अहंकार, अभिमान आदि से मोक्ष दिलाने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा, नियम और निष्ठा के साथ मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं, कथा श्रवण करते हैं और भगवान का पूजन करते हैं, तो इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है.

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के प्रारंभ होने के पूर्व अर्जुन को श्रीमदभागवत गीता का उपदेश दिया था. इसी कारण इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण के दामोदर स्वरूप का पूजन किया जाता है. इस दिन गीता आदि का पाठ करने बड़ा ही फलदाई माना जाता है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विधि विधान से पूजन अर्चन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है.

क्यों खास है मोक्षदा एकादशी?

कहते हैं मोक्षदा एकादशी को भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा करने से पापों का नाश तो होता ही है साथ ही संतान प्राप्ति की कामना, धन प्राप्ति की कामना या फिर विवाह की मनोकामना आदि पूर्ण होती हैं. भगवान हरि की असीम कृपा भक्तों पर बनी रहती है और मरणोपरांत वैकुंठ लोक की भी प्राप्ति होती है.

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवत गीता का पाठ करने और भगवत गीता का दर्शन करने मात्र से सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.विभिन्न फलों की प्राप्ति कराने कारण शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी के व्रत को अत्यंत श्रेष्ठ बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से कई एकादशियों का फल मिलता है.

कैसे करें मोक्षदा एकादशी की पूजा?

व्रत करने वाले लोग तिथि से एक दिन पहले ही द्वादशी तिथि के दिन सूर्यास्त होने से पहले ही भोजन ग्रहण कर लें. मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले ही सात्विक भोजन ग्रहण करना शुरू कर देना चाहिए और मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी तिथि के दिन सुबह प्रात:काल उठकर गंगा नदी में या घर पर नहाने के पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद साफ कपड़े धारण करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद घर के मंदिर में जाकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण के दामोदर स्वरूप का विधि विधान से पूजन करें.

इसके बाद वहीं बैठकर गीता आदि का पाठ और श्रवण करना चाहिए. उसके बाद ओम वासुदेवाय नम: या श्री दामोदराया नम: इन मंत्रों का जप करना चाहिए. भगवान विष्णु को गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें और उन्हें पीले फल फूल अर्पित करें. भगवान विष्णु को अक्षत नहीं चढ़ाया जाता है इसलिए उनका जल या पंचामक से अभिषेक करें. उसके बाद भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को गंगाजल चढ़ाएं. फिर काले तिल, तुलसी दल आदि अर्पित करें. उसके बाद उनकी दीप धूप से आरती करें. भगवान श्रीकृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए.

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