ABC NEWS: 5 दिसंबर को काल भैरव जयंती, कालाष्टमी मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष माह चल रहा है और इस महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी. काल भैरव भगवान शंकर जी का ही रौद्र रूप हैं. मान्यता है कि कालाष्टमी या काल भैरव जयंती पर काल भैरव की पूजा करने से जीवन के सभी संकट, काल, दुख दूर हो सकते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि आती है. हिंदू धर्म में कालाष्टमी का अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. आपको बता दें कि कालाष्टमी का व्रत प्रत्येक महीने किया जाता है. चलिए जानते हैं कालाष्टमी पूजा विधि, महत्व के बारे में यहां.
कालाष्टमी पूजा विधि
पं. हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, सुबह उठकर स्नान आदि कर लें. साफ वस्त्र धारण करें. काले रंग का वस्त्र इस दिन आप पहन सकते हैं. काल भैरव का मन में ध्यान करते हुए गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्प लें. काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीपक, अगरबत्ती जलाएं. दही, बेलपत्र, पंचामृत, धतूरा, पुष्प आदि आर्पित करें. पूजा विधि नियमानुसार करते हुए काल भैरव के मंत्रों का जाप करते रहें. अंत में आरती करें और आशीर्वाद लें. शाम की पूजा, आरती करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करें. अगले दिन व्रत का पारण करें और जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें.
कालाष्टमी व्रत का महत्व
जैसा कि हम बता चुके हैं कि काल भैरव शिव जी के ही रौद्र रूप हैं. जो भी भक्त कालाष्टमी के दिन काल भैरव बाबा की पूजा विधि अनुसार करता है, उसके सभी पाप, कष्ट, दुख दर्द दूर हो सकते हैं. इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत और पूजा करने से भगवान शिव जी की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है. कुंडली में मौजूद राहु दोष भी दूर हो सकता है.
कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त
पचांग के अनुसार, इस बार 4 दिसंबर से रात के 9:59 मिनट पर मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी और इसका समापन 6 दिसंबर को सुबह 12:37 मिनट पर होगा. काल भैरव की पूजा रात के समय करें तो ही उत्तम माना गया है.
काल भैरव के मंत्र
ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव:
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्.