ABC News : ( ट्विंकल यादव ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मीटिंग में पसमांदा मुस्लिमों के विकास पर फोकस करने की बात की तो देश में मुस्लिमों के इस तबके को लेकर भी एक बहस छिड़ गई. क्या आप जानते हैं कि पसमांदा मुस्लिम कौन होते हैं, क्यों देश में उनके कई संगठन अपनी आवाज उठाकर मुस्लिम धर्म में भेदभाव और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं.
कौन हैं पसमांदा मुस्लिम?
सबसे पहले पसमांदा समाज का अर्थ समझते हैं. पसमांदा एक फारसी शब्द है, जो पस और मांदा से मिलकर बना है. पस का अर्थ ‘पीछे’ होता है और मांद का अर्थ ‘छूट’ जाना होता है. ऐसे में पीछे छूट गए लोगों को पसमांदा कहा जाता है. मुस्लिमों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े तबके को पसमांदा कहा जाता है. पसमांदा मुसलमान दरअसल वो मुस्लिम हैं, जो हिंदू समाज के दलित और पिछड़े वर्ग से आते थे और इन लोगों ने धर्मांतरण कर इस्लाम धर्म अपना लिया था.
मुस्लिमों को तीन कैटेगरी में बांटा गया
2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट ने भारत में मुस्लिम सामाजिक संरचना की गहराई से समझाने के लिए मुसलमानों को तीन समूहों में बांटा.
अशरफ: इसमें संभ्रांत मुसलमानों को शामिल किया गया, जो मध्य पूर्व से से जुड़े होने का दावा करते हैं. इसमें सैयद, शेख और पठान आते हैं.
अजलाफ: इसमें पिछड़े मुस्लिम या मध्यवर्गीय धर्मान्तरित (राजपूत, त्यागी मुस्लिम, जाट मुस्लिम, गुज्जर मुस्लिम) आते हैं.
अरज़ल: इस कैटेगरी में दलित मुस्लिम जैसे दारज़ी, इदरीस, मोमिन, क़ुरैशी, सैफी को शामिल किया गया है.
अजलाफ और अरजल से मिलकर पसमांदा मुस्लिम वर्ग तैयार हुआ है. वे भारत में कुल मुस्लिम आबादी का 85% हैं. इनकी श्रेणियों में बांटने का तरीका धार्मिक पहचान के बजाय जाति और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और मौजूदा आरक्षण श्रेणी के पुनर्गठन पर फोकस है.
क्या है BJP की पसमांदा Strategy?
बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में लेने की जो कोशिश शुरू की है, उसका असली मकसद क्या है? क्या बीजेपी की यह पहल पसमांदा वोटों के लिए है या ये फिर मुस्लिम विरोधी टैग हटा कर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को कोई संदेश देना चाहती है?
इस सवाल पर यूपी में आयोजित पसमांदा सम्मेलन के मुख्य आयोजक और राज्य के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बीबीसी से कहा, ” पार्टी के विचारपुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय में विश्वास रखते थे. यूपी में पसमांदा यानी पिछड़ा मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग है.
मुस्लिम आबादी में 80 फ़ीसदी इन्हीं की हिस्सेदारी है. मोदी और योगी जी के नेतृत्व में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के साढ़े करोड़ लाभार्थी इसी वर्ग के हैं. हमारी सोच है मुसलमानों की इस पिछड़ी आबादी के लिए काम किया जाए.”