ABC NEWS: UP के स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी प्राइवेट अस्पतालों के लिए वहां काम करने वाले डॉक्टरों की फोटो और फोन नंबर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. इन विवरणों को ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए जहां मरीज और उनके अटेंडेंट उन्हें आसानी से देख सकें. इसके अलावा, अस्पतालों को डिस्प्ले बोर्ड पर अपने फोन नंबरों के साथ इमरजेंसी मेडिकल अधिकारियों की स्पेशियलिटी के बारे में जानकारी भी लगानी होगी. अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एपी सिंह ने कहा कि डॉक्टरों का विवरण डालने से रोगी यह जान सकेंगे कि योग्य डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं.
इसके अलावा, उन्हें पता चल जाएगा कि इमरजेंसी में किससे संपर्क करना है. इससे अस्पताल के निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों को भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अब तक अस्पतालों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) द्वारा जारी लाइसेंस रखना होगा, जिसे निरीक्षण के दौरान प्रदर्शित किया जाना है. यह कदम स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापेमारी के दौरान अस्पतालों में काम करने वाले कई अयोग्य डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सो के मिलने के बाद उठाया गया है.” अधिकारियों ने बताया, “शहर में करीब 350 अस्पताल और नर्सिग होम लाइसेंस के साथ हैं.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 18 अस्पतालों में छापेमारी के दौरान 10 अस्पतालों में खामियां पाई गईं और उन पर नोटिस तामील किया गया. सबसे आम विसंगति अस्पताल से आपातकालीन चिकित्सा अधिकारियों की अनुपस्थिति थी. तीन निजी अस्पतालों में पैरामेडिकल व नर्सिग स्टाफ अप्रशिक्षित था. इसके अलावा, हरदोई रोड पर दो अस्पतालों के दौरे से पता चला कि डॉक्टर आधुनिक चिकित्सा के अभ्यास के लिए योग्य नहीं थे. उनके पास BHMS और BMS की डिग्री थी. डॉ. ए.पी. सिंह ने कहा, “अयोग्य कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों के खिलाफ हम विशेष अभियान चला रहे हैं. इसमें लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.