ABC NEWS: पल में तोला पल में माशा. टमाटर के लिए यह कहावत सटीक दिख रही है. जून के पहले सप्ताह की बात है. UP की रिटेल मंडियों में टमाटर को दस रुपये किलो के दाम से बेचा जा रहा था. खरीदार हावी थे। इस समय हवा बदली हुई है. रिटेल मंडियों में टमाटर 240 रुपये किलो के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है. किलो दो किलो के ग्राहकों की संख्या कम हो चुकी है. पाव भर में ही अधिकतर निबट रहे हैं। साठ रुपये में पाव भर टमाटर की गिनती की जाए तो मध्यम साइज के चार और छोटे साइज के पांच चढ़ रहे हैं.
इस लिहाज से एक टमाटर पन्द्रह रुपये का पड़ रहा है. उस समय एक क्रेट में 28 किलो तक टमाटर आ रहा था. अब अधिकतम 25 किलो रहता है. जिन किसानों के टमाटर की उपज को खेत में ही जमींदोज कर दिया था, वे अपने परिजनों से आंख नहीं मिला पा रहे. उन पर तो आरोप लग रहा है कि परिवार के अरमान ही मिट्टी में मिला दिया. या फिर जल्दबाजी में सोने को ही मिट्टी में मिला दिया.
दस फीसदी रह गया स्टॉक मंगलवार सुबह आगरा की बाईपुर सब्जी मंडी में टमाटर की कुल आमद पांच टन भी नहीं रही. जबकि दो महीने पहले रोजाना चालीस से पचास टन टमाटर मंडी में आ रहा था. रिटेल मंडियों में एक दो ठेल टमाटर की दिख रही हैं. उन्हीं मंडियों में दो महीने पहले बीस से कम ठेल नहीं लगती थीं. जो क्रेट 100-200 रुपये में खरीदी जा रही थी. उसके लिए अब चार हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. सब्जी विक्रेता को टमाटर की ठेल लगाने के लिए पन्द्रह से बीस हजार रुपये की लागत लग रही है.
ऐसे आया असर
सब्जी दाम (डेढ़ मौजूदा दाम
महीने पहले )
टमाटर 30-40 200-240
आलू 16-25 16-30
भिंडी 20-25 40-50
तोरई 20-30 50-80
टिंडा 30-40 40-60
हरी मिर्च 30-40 80-100
हरा धनिया 40-50 180-240
नींबू 60-80 60-80
अदरक 150-200 200-240
लौकी 20-30 30-50
बैंगन 30-40 40-60
खीरा 30-50 30-50
(रिटेल दाम रुपये प्रति किलो में)
फिलहाल नहीं सुधर रहे हालात
आढ़तियों का आकलन है कि अगले एक महीने तक टमाटर के दाम इसी तरह लोगों को परेशान करते रहेंगे. वर्तमान में बंग्लूरू मंडी से टमाटर आ रहा है. आगरा तक भाड़ा ही छह रुपये किलो का आ रहा है. बंग्लूरू में ही इसके दाम ऊपर चल रहे हैं. इसके बाद विक्रेताओं के कई चैनल जुड़ने के बाद उपभोक्ता तक पहुंच कर इसके दाम 200 रुपये से भी ज्यादा हो चुके हैं.
जल्दबाजी में कर लिया नुकसान
लोकल किसानों के पास इस बार बहुतायत में टमाटर की उपलब्धता थी. बीते साल इसके दाम अधिक रहने की वजह से इस बार रकबा बढ़ा हुआ था. शुरू में दाम में इजाफा न होने से उत्पादक घबरा गए. कई ने खेत में ट्रैक्टर चला दिए. ताकि नई उपज पर ध्यान दिया जाए. यदि एक हफ्ते भी इंतजार कर लेते तो वही टमाटर पिछले सभी कर्जों को पटा देता.