आज है परमा एकादशी: पूजा समय व्रत कथा सुनने से मिलेगा पुण्य, गरीबी हो जाएगी दूर

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ABC NEWS: परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त को है. इस दिन आप भगवान विष्णु की पूजा करते समय परमा एकादशी व्रत कथा को जरूर सुनें या फिर पढ़ें. जो व्यक्ति परमा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है और व्रत कथा सुनता है, उसकी गरीबी दूर हो जाती है. भगवान श्रीहरि विष्णु के आशीर्वाद से धन, धान्य और प्रसिद्धि मिलती है. एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से अधिक मास के कृष्ण पक्ष के एकादशी व्रत, उसकी विधि और महत्व के बारे में जानना चाहा. तब श्रीकृष्ण ने उनको परमा एकादशी व्रत के महत्व और उसकी कथा के बारे में बताया.

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि अधिक मास के कृष्ण पक्ष के एकादशी को परमा एकादशी या पुरुषोत्तमी एकादशी कहते हैं. श्रीकृष्ण ने परमा एकादशी व्रत की कथा कुछ इस प्रकार बताई.

परमा एकादशी व्रत कथा
एक समय की बात है. काम्पिल्य नामक नगर में एक ब्राह्माण परिवार रहता है. परिवार के मुखिया का नाम सुमेधा था. सुमेधा और उसकी पत्नी धर्म कार्य करते थे. सुमेधा की पत्नी पतिव्रता स्त्री थी. वह अपने अतिथियों का सत्कार सेवाभाव से करती थी. जो भी उसके द्वार पर आता था, वह उसका आदर-सत्कार करती थी. स्वयं भूखे रहकर अतिथियों को भोजन कराती थी.

एक दिन सुमेधा ने पत्नी से कहा कि धन कमाने के लिए उसे परदेस जाना होगा. यहां पर रहकर जितना धन मिलता है, उससे परिवार चलाना काफी मुश्किल है. इस पर उसकी पत्नी ने कहा कि मनुष्य को अपने भाग्य और पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है. यदि हमें गरीबी मिली है तो यहीं पर कर्म करें, जो ईश्वर चाहेंगे, वही होगा.

पत्नी की बात मानकर सुमेधा ने परदेस जाने का निर्णय त्याग दिया. एक दिन उसके घर पर कौंडिल्य ऋषि पधारे. सुमेधा और उसकी पत्नी ने उनका सेवा-सत्कार किया. उससे कौंडिल्य ऋषि बहुत खुश हुए. उस दौरान सुमेधा और उसकी पत्नी ने गरीबी दूर करने के लिए कोई उपाय बताने को कहा.

इस पर उस ऋषि ने दोनों को परमा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक रखने को कहा. साथ में उनको परमा एकादशी व्रत की विधि भी बताई. उन्होंने कहा कि परमा एकादशी का व्रत रखने से पाप मिट जाते हैं, धन और वैभव की प्राप्ति होती है और जीवन के अंत में अच्छी गति मिलती है. इस व्रत को कुबेर ने भी किया था, इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए थे. उन्होंने कुबेर को धनाध्यक्ष का पद दिया.

ऋषि कौंडिल्य के बताए अनुसार, जब अधिक मास का कृष्ण पक्ष आया तो सुमेधा और उसकी पत्नी ने विधिपूर्वक परमा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-दक्षिणा देकर विदा किया. उसके बाद स्वयं भी भोजन करके परमा एकादशी व्रत को पूरा किया.

इस व्रत के पुण्य प्रभाव और विष्णु कृपा से ब्राह्मण परिवार की गरीबी दूर हो गई. उन लोगों काफी सालों तक सुखपूर्वक जीवन व्यतीत किया. उसके बाद अंत समय में उन दोनों को उत्तम गति भी प्राप्त हो गई.

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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