ABC News: बैंक एफडी या फिक्स्ड डिपॉजिट सुरक्षित निवेश का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है. इसमें निवेश के डूबने का रिस्क न के बराबर होता है और रिटर्न भी गारंटीड होता है. इस कारण से अधिकतर भारतीय इसमें निवेश करना पसंद करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि एफडी भारत में कैसे शुरू हुई और मध्यम वर्गीय लोगों के लिए निवेश का सबसे पसंदीदा प्रोडक्ट कैसे बना.
भारत में एफडी का इतिहास अंग्रेजों से जुड़ा हुआ है 1900 की शुरुआत में भारत में बचत को प्रोत्साहित करने के लिए अंग्रेजों की ओर से FD स्कीम को भारत में शुरू किया गया था उस समय बैंकों की ओर से दी जाने वाली काफी कम होती थी और केवल कुछ लोगों की ओर से ही बैंक में एफडी कराई जाती थी आजादी तक एफडी भारत में ज्यादा लोकप्रिय नहीं थी आजादी के बाद 1960 के दशक में भारत सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया और एफडी पर ब्याज दरों को सरकार की ओर से नियंत्रित किया जाने लगा भारत सरकार द्वारा ही एफडी पर ब्याज दरों तय किया जाने लगा और 1970 तक ये सिलसिला जारी रहा हालांकि, इस दौरान भी एफडी निवेशकों को आकर्षक ब्याज नहीं मिलती है और यह ज्यादातर समय महंगाई दर से कम ही रहती थी इस कारण बड़ी संख्या में निवेशक दूसरी बनाकर रखते थे 1980 के दशक में भारत में ब्याज दरों पर सरकार की ओर से नियंत्रण हटाना शुरू कर दिया गया और बैंकों को अनुमति दे दी गई कि ब्याज दरों को वह खुद तय करें. इससे भारत में ब्याज दरों को लेकर बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा आ गई. 1990 तक आते-आते एफडी पर ब्याज दर बढ़ती चली गई और इस दौरान सुरक्षित निवेश का भारत में ये तेजी से लोकप्रिय विकल्प बन गया. कुछ ही सालों में एफडी के फेवरेट बनने की बड़ी वजह मध्यम वर्ग के लिए इससे पहले ऐसा कोई निवेश का विकल्प न होना भी माना जाता है.
2000 में हुआ बड़ा बदलाव
2000 की शुरुआत में ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक बेस रेट का कॉन्सेप्ट लाया, जिसके तहत केंद्रीय बैंक एक बेस रेट तय करता था. बेस रेट से कम पर बैंक लोन नहीं दे सकते थे. इसके बाद आरबीआई बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट सिस्टम लेकर आया. तब से इसी आधार पर ब्याज दर तय होती है.
भारत में क्यों बैंक एफडी को माना जाता है सुरक्षित?
– बैंक एफडी में रकम के डूबने का कोई खतरा नहीं होता है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की ओर से बैंक एफडी का 5 लाख तक का इंश्योरेंस किया जाता है.
– बैंक एफडी के लोकप्रिय होने का बड़ा कारण इसमें लचीलापन होना है. निवेशक 7 दिन से लेकर 10 सालों तक की बैंक एफडी करा सकते हैं.
– बैंक एफडी निवेशकों को रेगुलर इनकम का भी विकल्प देता है. आप अपने निवेश के अनुसार मासिक, तिमाही और सालाना आधार पर ब्याज प्राप्त कर सकते हैं.
– बैंक एफडी में निवेश करने पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक की छूट मिलती है.