जिस पान को खाकर अमिताभ बच्चन ने ‘डॉन मूवी’ में मचाया था धमाल, उसे मिला GI टैग

News

ABC NEWS: ‘खइके पान बनारस वाला…’ डॉन फिल्म का ये गाना अभी भी इतना मशहूर है कि लोगों की जुबान पर आ ही जाता है. इस गाने के बोल और अमिताभ के डांस ने धमाल मचा दिया था. गाने में जिस बनारसी पान का जिक्र है, उसे GI टैग (geographical index Tag) मिल गया है. बनारसी पान अपनी मिठास और रसीलेपन के लिए प्रसिद्ध है. बनारसी पान के साथ-साथ बनारसी लंगड़ा आम को भी जीआई टैग दिया गया है.

क्या होता है GI टैग?
GI यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है. भारतीय सांसद में वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ लागू किया गया था. इसके तहत भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी क्षेत्र का क्षेत्रीय उत्पाद वहां की पहचान होता है. उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसे जीआई टैग यानी जीयोग्राफिकल इंडिकेटर कहते हैं.

वाराणसी के 4 नए प्रोडक्ट GI टैग लिस्ट में शामिल
काशी ने एक बार फिर जीआई टैग के क्षेत्र में अपना परचम लहराया है. एक साथ इस क्षेत्र के चार नए प्रोडक्ट इस लिस्ट में शामिल हुए हैं. इसमें बनारसी पान, बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भंटा (बैंगन) और चंदौली का आदमचीनी चावल शामिल हैं. जीआई टैग हासिल करने वाले सभी चार उत्पाद किसानों से जुड़े हुए हैं.

यूपी के 7 अन्य प्रोडक्ट्स को भी GI टैग
GI विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने बताया कि ‘चारों उत्पाद कृषि और उद्यान से संबंधित है. लंगड़ा आम भी काशी की विशिष्ट पहचान है. लंगड़ा आम इस बार अपनी खास पहचान GI टैग के साथ बाजार में आएगा.’ इसके अलावा यूपी के 7 अन्य ओडीओपी (odop) प्रोडक्ट्स ने भी जीआई टैग हासिल किया है. इनमें अलीगढ़ का ताला, हाथरस का हींग, नगीना का वुड कटिंग, मुज़फ़्फ़रनगर का गुड़, बखीरा ब्रासवेयर, बांदा का शज़र पत्थर क्राफ्ट, प्रतापगढ़ के आंवले को भी GI टैग प्राप्त हो गया है.

1000 से ज़्यादा किसानों को GI ऑथराइज्ड यूज़र बनाया जाएगा
नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह ने बताया कि ‘आगे आने वाले समय में इन उत्पादों के लिए वित्तीय संस्थाएं भी उत्पादन और मार्केटिंग में सहयोग करेंगी. बनारसी लंगड़ा आम के लिए जया सीड्ज़ कंपनी लिमिटेड, रामनगर भंटा के लिए काशी विश्वनाथ फ़ार्म्स कंपनी, आदमचीनी चावल के लिए ईशानी एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, चन्दौली के राज्य सरकार और नाबार्ड के सहयोग से आवेदन किया था.

वहीं, बनारस पान (पत्ता) के लिए  नमामि गंगे फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी  लिमिटेड और उद्यान विभाग वाराणसी ने नाबार्ड और राज्य सरकार के सहयोग से आवेदन किया था. अनुज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि ‘आने वाले समय में 1000 से ज़्यादा किसानों का GI ऑथराइज्ड पंजीकरण कराया जाएगा. इससे किसान जीआई टैग का प्रयोग कानूनी रूप से कर सकेंगे. ऐसा करने से बाजार में इन उत्पादों की नकल को भी रोका जा सकेगा.’

20 लाख से ज़्यादा लोग GI उत्पादों के कारोबार में जुड़े
डॉ रजनीकांत ने जानकारी दी कि बनारस और पूर्वांचल के GI उत्पादों के कारोबार में 20 लाख से ज़्यादा लोग शामिल हैं. लगभग 25,500 करोड़ का सालाना कारोबार इन उत्पादों का होता है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (nabard) के सहयोग से कोविड के समय में भी यूपी के 20 उत्पादों का GI के लिए आवेदन किया गया था. इसमें 11 जीआई टैग प्राप्त हो गए हैं.इसके अलावा बनारसी ठंडई, बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारस का लाल भरवां लाल मिर्च और  चिरईगांव के करौंदे का भी जीआई टैग के लिए आवेदन किया गया है.

यूपी सरकार की ‘एक ज़िला एक उत्पाद’ योजना से इन उत्पादों को मिला है लाभ 
इन चार उत्पादों के बाद अब काशी क्षेत्र में 22 जीआई टैग उत्पाद हो गए हैं. वहीं, यूपी में 45 जीआई उत्पाद दर्ज़ हो चुके हैं. योगी सरकार के एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) के तहत क्षेत्र  ख़ास उत्पादों को बढ़ावा देने और उनको GI टैग दिलाने के लिए कोशिश की जा रही है. वाराणसी और पूर्वांचल के अन्य जीआई उत्पादों में बनारस की ब्रोकेड और साड़ी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, काशी की गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी वूडेन लेकरवेयर (खिलौने),बनारस ग्लास बीड्स,वाराणसी साफ्टस्टोन जाली वर्क, बनारस की ज़रदोज़ी, बनारस के हैण्ड ब्लॉक प्रिंट, बनारस वुड कारविंग, भदोही की हाथ से बुनी क़ालीन, मिर्ज़ापुर की दरी,मिर्जापुर के पीतल के बर्तन, मऊ की साड़ी, चुनार की ब्लैक पॉटरी, ग़ाज़ीपुर की वॉल हैंगिंग, चुनार के बलुआ पत्थर, चुनार ग्लेज़ पॉटरी, गोरखपुर के टेराकोटा क्राफ्ट पहले से ही शामिल हैं.

खबरों से जुड़े लेटेस्ट अपडेट लगातार हासिल करने के लिए आप हमें  Facebook, Twitter, Instagram पर भी ज्वॉइन कर सकते हैं … Facebook-ABC News 24 x 7 , Twitter- Abcnews.media Instagramwww.abcnews.media

You can watch us on :  SITI-85,  DEN-157,  DIGIWAY-157


For more news you can login- www.abcnews.media