ABC NEWS: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुट गई है. सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा दे रखा है. अब पार्टी अगड़ा को भी जोड़ने में जुट गई है. इसी कड़ी में सपा अब ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर रही है. एक दिन पहले लखनऊ स्थित सपा के प्रदेश मुख्यालय में कन्नौज से आए महा ब्राह्मण समाज पंचायत का सम्मेलन हुआ जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए.
अखिलेश यादव के सामने इस कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का मुद्दा भी उठा. हिंदू धर्म और रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर ब्राह्मण समाज के लोगों, सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर आपत्ति जताई. पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग की. पंचायत में जब ये मुद्दा उठा, तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया.
अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा. उन्होंने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें. अखिलेश यादव पहले भी जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं. लेकिन इसका कुछ खास असर होता नजर नहीं आया है. सपा के कई ब्राह्मण नेता स्वामी प्रसाद के बयानों को लेकर अखिलेश से शिकायत कर चुके हैं.
गौरतलब है कि रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान के बाद स्वामी प्रसाद ने ब्राह्मणों को लेकर भी एक्स पर एक पोस्ट किया था. अगस्त महीने में स्वामी ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा था कि ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है.
उन्होंने यहां तक कह दिया था कि हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं. स्वामी प्रसाद ने अपने इसी पोस्ट में हिंदू धर्म को धोखा बताते हुए कहा था कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है.
बता दें कि हिंदू धर्म और ब्राह्मणों को लेकर स्वामी प्रसाद के लगातार तीखे बोल से सपा के ब्राह्मण नेता भी नाराज थे. बताया जाता है कि सपा के ब्राह्मण नेताओं ने अखिलेश के सामने पहले भी ये मुद्दा उठाया था जिसके बाद सपा प्रमुख ने पार्टी के नेताओं को धर्म और जाति को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की नसीहत दी थी. अब सपा प्रमुख की ताजा नसीहत स्वामी के बयानों पर कितना लगाम लगा पाएगी? ये देखने वाली बात होगी.