ABC News : ( ट्विंकल यादव ) टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स यानी टीडीएस (Tax Deducted at Source-TDS) का नाम सुनते ही दिमाग में कई तरह के सवाल घूमने लगते हैं जैसे ये क्यों लगया जाता है? टीडीएस में काटी गई रकम का क्या होता है और कितनी इनकम पर टीडीएस लगता है? अगर आपके दिमाग में इस तरह के कई सवाल है, तो आइए आज जानते है TDS के बारे में…
क्या होता है TDS ?
टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा है. जब सैलरी, ब्याज या अन्य किसी तरह का भुगतान देने से पहले, उसमें से टैक्स काटकर रख लिया जाता है तो उसे TDS कहते हैं. दरअसल किसी व्यक्ति की आय का स्रोत क्या है, उस पर जो टैक्स कलेक्ट किया जाता है उसे ही टीडीएस कहा जाता है. टीडीएस अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे- सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि. सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है. हालांकि ये हर आय और लेनदेन पर लागू नहीं होता है. टीडीएस काटने के लिए आयकर विभाग की तरफ से कुछ नियम तय किए गए हैं.
उदाहरण के लिए, सैलरी देने वाली कंपनी स्रोत होती है. ब्याज देने वाला बैंक स्रोत होता है. किराया देने वाला व्यक्ति किराए का स्रोत होता है. ऐसे किसी स्रोत से आय भुगतान मिलने के पहले जब टैक्स काट लिया जाता है तो उसे स्रोत पर कर कटौती या Tax deducted at source (TDS) कहा जाता है.
कैसे कटता है टीडीएस ?
भारत में निम्नलिखित प्रकार की आमदनियों पर TDS काटा जाता है-
- सैलरी : अगर आपकी साल भर की सैलरी 5 लाख रुपए सालाना या इससे ज्यादा है तो अतिरिक्त आय पर टैक्स काटकर, बाकी रकम आपको मिलेगी. इसका रेट आप पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से होगा.
- ब्याज: बैंक में जमा पैसों पर अगर आपको साल भर में 40 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज मिल रहा है तो अतिरिक्त ब्याज पर बैंक 10% TDS काट सकता है. इसी तरह, 60 साल से अधिक उम्र वाले नागरिकों के 50 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज पर TDS काटा जाता है. लेकिन ब्याज के रूप में मिली उस रकम को जोड़कर भी अगर आपकी कुल सालाना आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं है तो फॉर्म 15 G/H फरकर TDS कटौती रोक सकते हैं.
- EPF: अगर आप नौकरी के 5 साल बीतने के पहले अपने EPF अकाउंट से पैसा निकालते हैं और वह रकम 50 हजार रुपए से अधिक है तो उस पर 10% के हिसाब से TDS काटा जाएगा. लेकिन पीएफ की उस रकम को जोड़कर भी अगर आपकी कुल सालाना आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं है तो फॉर्म 15 G/H फरकर TDS कटौती रोक सकते हैं.
कमीशन: किसी संस्थान या फर्म के लिए कोई बड़ा सौदा कराने पर बड़ा कमीशन मिला हो तो उस कमीशन पर भी 5% TDS काटा जाएगा. - किराया : आपको मकान के किराये में 20,000 रुपए प्रति माह से ज्यादा का किराया मिल रहा हो तो किराएदार 10% TDS काटकर बाकी पैसे आपको भुगतान करेगा.
- परामर्श शुल्क : आप अगर किसी कंपनी या फर्म से वकील, चार्टड एकाउंटेंट, फाइनेंशियल प्लानर आदि के के रूप में परामर्श शुल्क प्राप्त कर रहे हों. तो वह कंपनी या फर्म TDS काटकर बाकी आपको भुगतान करेगी.
- प्रोफेशनल फीस : आपको किसी फर्म ने आपकी पेशेवर विशेषज्ञता के आधार पर Hire कर रखा हो तो, वह भी 2% TDS काटकर, बाकी रकम आपको भुगतान करेगी.