आ गया समंदर का शहंशाह, पीएम मोदी ने INS Vikrant नौसेना को सौंपा

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ABC NEWS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant नौसेना को सौंप दिया. INS Vikrant की खास बात ये है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत है. इसे 2009 में बनाना शुरू किया गया था. अब 13 बाद ये नौसेना मिला है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना के नए Ensign (निशान) का भी अनावरण किया. नौसेना का नया Ensign औपनिवेशिक अतीत से दूर और भारतीय मैरिटाइम हैरिटेज से लैस है.

पीएम ने नए निशान का किया अनावरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के नए निशान का अनावरण किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन समेत अन्य सैन्य अधिकारी मौजूद रहे.

आकार, प्रकार और रफ्तार
20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ INS विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. इस लिहाज से इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है. यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7 हजार 500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है. भारत के समुद्री इतिहास में देश में तैयार हुआ यह पहला इतना विशाल जहाज है. खास बात है कि इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर ही रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ हुए 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी.

क्रू के लिए कैसी है व्यवस्था, महिलाओं के लिए खास इंतजाम
इस विशाल जहाज में कुल 18 फ्लोर हैं, जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है. यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकती है. इसमें महिलाओं की जरूरतों के हिसाब से खास कैबिन बनाए गए हैं. खास बात है कि INS विक्रांत पर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस एक किचन है, जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है.

इसके मेडिकल कॉम्प्लैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं. साथ ही यहां फिजियोथैरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं मौजूद हैं.

कितने विमानों की है क्षमता
INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है. मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं. समुद्र में दुश्मनों को पटखनी देने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकेगी. यह एक मिडियम रेंज मिसाइल है, जिसे सबमरीन, जहाज, कैरियर या धरती से भी लॉन्च किया जा सकता है.

निर्माण की कहानी और भविष्य की तैयारी
नौसेना ने जानकारी दी है कि इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है. 20 हजार करोड़ रुपये में INS विक्रांत को तैयार करने में 2 हजार सीएसएल कर्मी और अप्रत्यक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल रहे. INS विक्रांत के फ्लाइट ट्रायल्स नवंबर तक शुरू हो जाएंगे और यह कैरियर साल 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार होगा.

सुरक्षा के ये हैं इंतजाम
खबर है कि कैरियर एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है. इनकी मदद से यह आसपास आने वाले खतरों को आसानी से भांप सकता है और उनका मुंहतोड़ जवाब दे सकता है.

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