पूर्व कुलपति विनय पाठक से एसटीएफ ने 2 घंटे की पूछताछ, रिकॉर्ड मांगा

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ABC News: आगरा के डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक पर सवा करोड़ रुपए की वसूली का मुकदमा दर्ज होने के बाद सोमवार को एफटीएफ आगरा यूनिवर्सिटी पहुंची है. दो घंटे से ज्यादा समय से कुलपति कार्यालय में कर्मचारी और अधिकारियों से पूछताछ चल रही है. एफटीएफ के आने के बाद से विश्वविद्यालय के कर्मचारियों में हड़कंप है.

यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति व वर्तमान में कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में FIR दर्ज हुई हैं. यूनिवर्सिटी में परीक्षा का काम करने वाली एजेंसी डिजिटेक्स टेक्नोलाजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया है. मामले में STF ने अजय मिश्रा को गिरफ्तारी कर जेल भी भेज दिया है. इसके बाद सोमवार दोपहर करीब दो बजे एसटीएफ टीम विश्वविद्यालय पहुंची. टीम ने कुलपति सचिवालय के गेट बंद कर लिए. कुलपति सचिवालय के सभी कर्मचारी और अधिकारियों से अंदर पूछताछ की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि एसटीएफ ने पूर्व कुलपति आलोक राय व प्रो. विनय पाठक के 15 माह के कार्यकाल में जो भी भुगतान व काम किए गए हैं. उनका ब्योरा तलब किया है. केंद्र बनाने, एफिलेशन से संबंधित फाइलें भी तलब की हैं. इसके अलावा पूर्व कुलपति के नजदीकी शिक्षकों के बारे में भी जानकारी जुटाई है.

यह है पूरा मामला
FIR के मुताबिक डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते हुए विनय पाठक ने वादी से 15% कमिशन वसूले थे. निजी कंपनी का ऑफिस लखनऊ के रंजनीगंधा अपार्टमेंट गोखले मार्ग पर है. कंपनी ने साल 2014-15 से डा.भीमराव अंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम से जुड़ा काम कर रही थी. इस बीच साल 2020-21 में UPLC के माध्यम से प्री-पोस्ट एग्जाम से संबंधित काम भी किया. कंपनी के बिल का भुगतान आगरा विश्वविद्यालय में लंबित था. आरोप है कि तब विनय पाठक कुलपति थे। इस दौरान वादी ने बिल का भुगतान करने को कहा तो पाठक ने कानपुर विश्वविद्यालय स्थित आवास पर बुलाया. इसके बाद कहा कि बिलों के भुगतान में 15% कमीशन देना होगा. जब वादी ने असमर्थता जताई तो अपशब्द कहे और आगरा यूनिवर्सिटी से कंपनी का काम हटवा देने की धमकी दी. परेशान होकर वादी ने कमीशन देने के लिए हामी भरी. इस पर पाठक ने अजय मिश्रा से फोन पर बात कराई और भुगतान होते ही कमीशन पहुंचाने को कहा. बिल पास होने पर वादी ने अजय मिश्रा से संपर्क किया और उनके खुर्रम नगर स्थित आवास पर जाकर कमीशन के 30 लाख रुपये दे दिए. इस पर अजय ने तीन लाख रुपए कम होने की बात कही और घर में बंधक बना लिया. किसी तरह वादी वहां से निकला और तीन लाख रुपए की व्यवस्था कर अजय को दे दिए. आरोप है कि इसी तरह अलग-अलग बिलों को पास करने के नाम पर आरोपित पीड़ित से रुपए वसूलते रहे. वादी का कहना है कि अजय मिश्रा ने इंटरनेशनल बिजनेस फार्म्स अलवर राजस्थान के खाते में करीब 73 लाख रुपये ट्रांसफर भी करवाएं. FIR के मुताबिक, साल 2022-23 का काम देने के नाम पर वादी से कमीशन मांगा गया. पर मना करने पर विनय पाठक ने UPDESCO के माध्यम से अजय मिश्रा की कंपनी को काम दिलवा दिया. वादी ने कुल एक करोड़ 41 लाख रुपए कमीशन दिए जाने का आरोप लगाया है. वादी ने जान का खतरा होने और कुछ भी दुर्घटना होने पर विनय पाठक को जिम्मेदार ठहराया है.

 

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