ABC News: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और मुस्लिम चेहरे आजम खान के बिना शायद पहली बार समाजवादी पार्टी का राज्य सम्मेलन लखनऊ में बुधवार को हुआ. इस दौरान सपा ने एकमत से नरेश उत्तम पटेल को एक बार फिर से पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया, जो 2017 के बाद से ही इस पद पर हैं. अखिलेश यादव के करीबी नरेश उत्तर पटेल कुर्मी समुदाय से आते हैं और उन्हें यह जिम्मेदारी देकर अखिलेश यादव गैर-यादव पिछड़ों को भी जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं. इस दौरान अखिलेश यादव ने 2019 के आम चुनाव और इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि हमने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा ने मशीनरी का गलत इस्तेमाल करके जीत हासिल कर ली. उन्होंने कहा कि इन नतीजों से भी यह पता चला है कि अकेले सपा में ही यह ताकत है कि वह भाजपा को चुनौती दे सकती ह.किसी और दल में इतनी ताकत नहीं है. रमाबाई आंबेडकर मैदान में हुए 9वें राज्य सम्मेलन में अखिलेश यादव ने 2019 के आम चुनाव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि समाजवादियों ने पूरी ताकत लगा दी थी. राम मनोहर लोहिया और भीमराव आंबेडकर के सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हुए बहुजनवादियों से एकता भी की गई. हमने इसके लिए त्याग भी किया. लेकिन सत्ता में बैठे लोगों ने हर चीज का बेजा इस्तेमाल किया और हमें हार का सामना करना पड़ा. यह शायद पहला मौका था, जब सपा के इतने अहम आयोजन से मुलायम सिंह यादव और आजम खान दोनों ही दूर रहे. दोनों नेता फिलहाल दिल्ली में हैं और अपना इलाज करा रहे हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 में भी समाजवादी पार्टी ने भाजपा को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को साथ लेकर गठबंधन बनाया था. लेकिन हम जीत नहीं सके. लेकिन इसके बाद भी मैं यह कह सकता हूं कि 2019 और 2022 में हमारे कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से काम किया है, उससे साफ है कि अकेले सपा में ही यह ताकत है कि वह भाजपा को टक्कर दे सके. बता दें कि 2019 के आम चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. तब गठबंधन को 15 सीटें मिली थीं, लेकिन बीएसपी के खाते में 10 गईं और सपा को 5 पर ही जीत हासिल हुई थी. यहीं से दोनों दलों के बीच कड़वाहट पैदा हो गई थी और अंत में दोनों का गठबंधन टूट गया था. इसके बाद सपा ने 2022 में रालोद, सुभासपा, महान दल जैसी कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया था. इसके बाद भी भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में सफल रही.