चमोली हादसे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, लापरवाही का पूरा सच आया सामने

News

ABC NEWS: चमोली एसटीपी प्रकरण में नया खुलासा सामने आया है, जिसमें चमोली पुलिस ने तीन लोगों को गिरप्तार किया है. इनमें एक विद्युत विभाग में ठेकदार का आदमी है. जिसका नाम महेंद्र बिष्ट बताया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जिसे लाईनमैन बताया गया था वह एक श्रमिक है. इसी व्यक्ति ने 19 जुलाई को एसटीपी की लाईन ठीक की थी और उसके बाद सरडाउन ऑन किया जिसके बाद 4 मिनट में ही 16 लोगों की जान चले गई. जो कार्य एक लाईनमैन का था वो एक नॉन टेक्निकल मजदूर से करवाया गया.

विद्युत विभाग के एक्शन अमित सक्सेना का कहना है की 2017 से स्वयं सहायता समूह (SSG सेल्प हेल्प ग्रुप ) के माध्यम से हमारे यहां कार्य कर रहे हैं. जिसका ठेकदार जौहरी लाल टम्टा है. इनके द्वारा 9 लोग विद्युत विभाग में काम कर रहे हैं, जिनमें से दो लोग मीटर रेटिंग् में कार्य कर रहे हैं और 7 लोग श्रमिक के पद पर कार्य कर रहे हैं. ये सभी नॉन टेक्निकल लोग हैं और यहां पर टेक्निकल काम कर रहे हैं.

चमोली के पास अलकनंदा तट पर दुर्घटना के बाद चर्चाओं में बने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में दुघटना को लेकर हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. लेकिन अब इस प्लांट से सीवर ट्रीटमेंट को लेकर ही सवाल खड़े हो गए हैं. दरअसल मानकों के अनुसार इस प्लांट को प्रतिदिन आठ घंटे संचालित होकर सीवर का ट्रीटमेंट करना था. लेकिन बिजली की जो खपत के आंकडे आए हैं इससे तो यह प्लांट प्रतिदिन एक घंटे चलने पर भी संशय है. साफ है कि अगर प्लांट ने सीवर संशोधन नहीं किया तो फिर बिना संसोधन के सीवर को अलकनंदा नदी में डाला जा रहा था. यह किसी आपराधिक कृत से कम नहीं है. जिस जल संस्थान को इस प्लांट की जिम्मेदारी प्लांट को चलाकर केंद्र सरकार के भरोसे को बरकरार रखना था, उसने 14 जुलाई तक बकायदा संचालन बुक में 14 तारीख तक प्लांट चलने के बिलों को प्रमाणित किया है. ऐसे में प्लांट संचालन किए बिना ही सीवर को नदी में डालने व सीवर संशोधन का फर्जी भुगतान घोटाले की बात भी सामने आ रही है. अगर जांच हुई तो यह घोटाला भी विभाग व संचालन कंपनी के गले की फांस बन सकता है.

गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान चलाया था. जिसके तहत नदियों के किनारे गंदे नाले,सीवर को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर इसके मानकों के अनुसार सफाई कर स्वच्छ पानी को नदी में जाना था. इसके लिए सरकार ने अरबों रुपये नदी घाटी के शहरों कस्बों में खर्च किए तथा इस काम के लिए जल निगम की गंगा प्रदूषण ईकाई को निर्माण एजेंसी बनाकर नमामि गंगा प्रोजेक्ट चलाया. इसी नमामि गंगे प्रोजेक्ट में अलकनंदा नदी तट पर बसे चमोली में दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए. पुराना हॉस्पिटल मौहल्ला, शंकराचार्य मठ, शंकराचार्य धर्मशाला व आस पास के क्षेत्र से आने वाले नाली व सीवर को 0.05 एमएलडी क्षमता वाले इस प्लांट में शोधन कर स्वच्छ कर साफ जल को अलकनंदा में प्रवाहित किया जाना था. 2019 में प्लांट को सुचारु कर दिया गया था. 12 जुलाई 2021 को इस प्लांट को सभी टेस्टिंग में पास होने पर जल निगम गंगा प्रदूषण ईकाई ने उत्तराखंड जल संस्थान चमोली को हंस्तातरित किया.

खबरों से जुड़े लेटेस्ट अपडेट लगातार हासिल करने के लिए आप हमें  Facebook, Twitter, Instagram पर भी ज्वॉइन कर सकते हैं … Facebook-ABC News 24 x 7 , Twitter- Abcnews.media Instagramwww.abcnews.media

You can watch us on :  SITI-85,  DEN-157,  DIGIWAY-157


For more news you can login- www.abcnews.media