ABC NEWS: हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 4 मार्च को फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि है और प्रत्येक त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है और इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत नाम दिया गया है. जिस प्रकार सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती समेत पूरे शिव परिवार का पूजन किया जाता है. महिलाएं यह व्रत संतान व सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. कहते हैं कि इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान शिव अपनी कृपा बरसाते हैं. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त.
शनि प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज यानि 4 मार्च को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो गई है और यह 5 मार्च को दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी. वैसे तो हिंदू धर्म में उदयातिथि के अनुसार व्रत रखा जाता है. लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है और इसलिए शनि प्रदोष व्रत आज रखा जाएगा.
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानि शाम के समय होती है. शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विधि-विधान से पूजन होता है. कहते हैं कि शनि प्रदोष व्रत रखने से जातक की संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है.
शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि
शनि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त के बाद की जाती है. इसलिए सूर्यास्त के बाद मंदिर में भगवान शिव व माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें तिलक लगाएं. ध्यान रखें कि भोलेनाथ को चंदन का तिलक और माता पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाया जाता है. इसके बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती करें. फिर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें. तभी यह व्रत सम्पन्न माना जाता है.