ABC NEWS: हर साल माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है. सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है. इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए रखती हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. सकट चौथ को संकट चौथ, तिल-कुट चौथ, वक्र-टुंडी चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं सकट चौथ का शुभ मुहूर्त और तारीख-
सकट चौथ तारीख और शुभ मुहूर्त
सकट चौथ मंगलवार, जनवरी 10, 2023 को
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – रात 08 बजकर 41 मिनट पर
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 10, 2023 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त – जनवरी 11, 2023 को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर खत्म
सकट चौथ पूजा विधि
सकट चौथ के दिन सुबह उठकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें. पूजा के समय माता लक्ष्मी की भी मूर्ति ज़रुर रखें. दिनभर निर्जला उपवास करें. रात में चांद को अर्घ्य दें, गणेश जी की पूजा कर फिर फलहार करें. संभव हो तो फलहार में केवल मीठा व्यजंन ही खाएं, सेंधा नमक का भी सेवन ना करें. इस दिन की पूजा में गणेश मंत्र का जाप करना बेहद फलदाई बताया गया है. गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दुर्वा भगवान गणेश को अर्पित करना भी बेहद शुभ होता है. गणेश जी को लड्डू बेहद पसंद होते हैं. ऐसे में इस दिन की पूजा में अन्य भागों के साथ आप बूंदी के लड्डू का भोग लगा सकते हैं. लड्डू के अलावा इस दिन गन्ना, शकरकंद, गुड़, तिल से बनी वस्तुएं, गुड़ से बने हुए लड्डू और घी अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है.
सकट चौथ पर ये गलतियां करने से बचें
सकट चौथ के दिन भगवाव गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी ने तुलसी जी का विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया था. जिसके बाद तुलसी जी ने गणेश जी को दो विवाह का श्राप दिया था, तो वहीं गणेश जी ने तुलसी जी का विवाह एक राक्षस के साथ होने का श्राप दिया. इसके बाद गणेश पूजन में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है.
इस दिन भूल से भी गणेश जी की सवारी मूषक यानि चूहे को सताना नहीं चाहिए. ऐसा करने से गणेश जी नाराज हो सकते हैं.
इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें. इस दिन पीले या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ फल दायक होता है.
इस दिन चंद्रमा को जल में दूध और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन अर्घ्य देते समय ध्यान दें कि अर्घ्य के जल की छींटे पैरों पर नहीं पड़नी चाहिए.