ABC News : सोमवार को टीम इंडिया मेलबर्न से एडिलेड पहुंची. हमारे सीनियर्स को अपने गेंदबाजों की कितनी फिक्र रहती है, यह इस यात्रा के दौरान सामने आया. कप्तान रोहित शर्मा के अलावा विराट कोहली और राहुल द्रविड़ अपनी बिजनेस क्लास की सीट गेंदबाजों को दे दी, ताकि वे पैर फैलाकर सुकून से बैठ सकें और इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले से पहले तरोताजा रहें.
टीम इंडिया को 10 नवंबर को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल खेलना है. यह मैच एडिलेड में खेला जाएगा. इसके लिए ही टीम मेलबर्न से एडिलेड पहुंची. दोनों शहरों के बीच हवाई सफर में करीब 3 घंटे लगते हैं. इस दौरान तेज गेंदबाजों को आराम मिल सके और वो तरोताजा रहें, इसलिए रोहित शर्मा, विराट कोहली और कोच राहुल द्रविड़ ने मोहम्मद शमी, अर्शदीप सिंह और हार्दिक पंड्या के लिए अपनी-अपनी बिजनेस-क्लास सीट छोड़ दीं और खुद इकोनॉमी क्लास में चले गए. मकसद बिल्कुल साफ था कि हमारे पेसर्स लंबे पैर करके आराम कर सकें, कुछ रिलेक्स रहें. भारतीय टीम ने आखिरी ग्रुप मैच मेलबर्न में जिम्बाब्वे के खिलाफ 6 नवंबर को खेला था. इस मैच में 71 रनों की बड़ी जीत मिलने के बाद टीम इंडिया ग्रुप में टॉपर रही. ICC के नियमों के मुताबिक, हर टीम को 4 बिजनेस क्लास की सीटें ही मिलती हैं. आमतौर पर यह सीट्स कोच, कैप्टन, वाइस कैप्टन या किसी सीनियर खिलाड़ी को ही मिलती हैं. जब टीम मैनेजमेंट को लगा कि तेज गेंदबाजों को आराम की ज्यादा जरूरत है, तो हमारी टीम के सीनियर्स खुद इकोनॉमी क्लास में चले गए और बिजनेस क्लास की सीट्स अपने पेसर्स को दे दीं. एडिलेड पहुंचने के बाद टीम इंडिया के सहयोगी स्टाफ ने इसकी जानकारी इंडियन एक्सप्रेस को दी. इस स्टाफर ने बताया- हमने तय किया कि तेज गेंदबाजों को आराम की ज्यादा जरूरत है. वो सफर के दौरान आराम से बैठ सकें, इसलिए कप्तान, कोच और विराट ने अपनी बिजनेस क्लास की सीट छोड़ने का फैसला किया. टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का शेड्यूल काफी बिजी रहा है. उसे अलग- अगले वेन्यू पर खेलना पड़ा। टीम को आराम के कम ही मौके मिले. पहले मैच में पाकिस्तान पर रोमांचक जीत का जश्न भी नहीं मना पाए और अगली सुबह फ्लाइट पकड़ ली. आखिरी लीग मैच मेलबर्न में 6 नवंबर को खेलने के बाद अगले ही दिन टीम एडिलेड के लिए रवाना हो गई. कई खिलाड़ी पूरी नींद तक नहीं ले पा रहे हैं. फिजियो और ट्रेनर गेंदबाजों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. उनकी कोशिश है कि लगातार ट्रेवलिंग का असर हमारी पेस बैटरी पर तो बिल्कुल न पड़े और उन्हें रिकवरी का भी पूरा टाइम मिले.