ABC NEWS: राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में व्यस्त हैं. सोनिया गांधी प्रचार से बाहर हैं. कांग्रेस ने MCD के बाद गुजरात भी बुरी तरह गंवाया, लेकिन हिमाचल प्रदेश से पार्टी को अच्छी खबर मिली. इस चुनाव से पार्टी को प्रियंका गांधी वाड्रा के रूप में एक चेहरा भी मिला, जिसे लेकर काफी उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, केवल हिमाचल की जीत ही इसकी एक वजह नहीं है. राज्य में उनकी सक्रियता ने पार्टी की राह को कई मायनों में आसान किया.
हिमाचल प्रदेश में प्रियंका गांधी ने 20 से ज्यादा रैलियां की और घर-घर अभियान भी चलाया. राज्य में महिला मतदाताओं की अहमियत को समझते हुए भी उन्होंने अपना प्रचार किया. इसके अलावा पार्टी को यह भी फायदा मिला कि राज्य की जनता ने प्रियंका को बाहरी नहीं समझा. एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी जानते हैं कि वह मशोबरा स्थित अपने कॉटेज को गर्व से दिखाती हैं.
हालांकि, हिमाचल की मुश्किलें कांग्रेस के लिए यहां खत्म नहीं होती हैं. कई राज्यों की तरह बड़े नामों को लेकर यहां भी असमंजस सामने आई. उदाहरण के लिए प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, सुखविंदर सुक्खू शीर्ष पद की दावेदारी पेश कर रहे हैं. प्रियंका ने इस तरह की परेशानियों को भी समझा.
ऐसे बनाई रणनीति
कहा जा रहा है कि प्रियंका की टीम ने राज्य के चुनाव के लिए रणनीति तैयार की. उनकी टीम में राजीव शुक्ला, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट हैं. इसके अलावा प्रियंका अभियान को तैयार करने, टिकट वितरण में भी शामिल रहीं और राज्य के कई नेताओं से मिलीं. उनसे मिली जानकारी के आधार पर प्रियंका ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुरानी पेंशन बहाली, अग्निपथ के खिलाफ विरोध, महंगाई, सेब उगाने वालों का गुस्सा, महिलाओं के बीच नौकरी जैसे मुद्दे पर फोकस के लिए कहा.
पीएम पर सीधा अटैक नहीं
खबर है कि प्रियंका ने पार्टी के लोगों को यह साफ कर दिया था कि पीएम पर कोई निजी हमला या टिप्पणी नहीं करना है और ‘सीएम के खराब शासन पर ध्यान लगाना है.’ अब पार्टी में भी प्रियंका के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर शुक्ला तक जीत का श्रेय उन्हें दे रहे हैं. साथ ही यह भी मांग भी उठ रही है कि आगामी विधानसभा चुनावों में प्रियंका को भूमिका निभानी चाहिए. हालांकि, उत्तर प्रदेश में उनकी मौजूदगी भी कांग्रेस को हार से नहीं बचा सकी थी.