ABC NEWS: ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को बड़ी राहत दी है. व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी. सोमवार को कोर्ट ने मस्जिद समिति की तरफ से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि 31 साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पूजा पर रोक लगाना गलत कदम था. खास बात है कि उस दौरान राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार थी.
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने कहा, ‘साल 1993 से व्यास परिवार को धार्मिक पूजा और अनुष्ठान से रोकने का राज्य सरकार का कदम गलत था.’ कोर्ट ने यह भी कहा कि तहखाने में श्रद्धालुओं की तरफ से की जा रही पूजा-अर्चना को रोकना ‘उनके हितों के खइलाफ होगा.’ व्यास तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी हिस्से में है.
खास बात है कि दो शताब्दी से ज्यादा और साल 1993 तक व्यास परिवार तहखाने में पूजा कर रहा था। साल 1993 में सीएम मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पूजा पर रोक लगा दी थी.
11 दिन पहले ही जस्टिस अग्रवाल की बेंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, 31 जनवरी जिला जज ने व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दे दी थी. उस दौरान शैलेंद्र कुमार व्यास की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी गई थी.
कोर्ट की तरफ से आदेश जारी होने के बाद वाराणसी डीएम एमएस राजलिंगम अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर गेट नंबर चार के जरिए मस्जिद परिसर में पहुंचे और अंदर करीब 2 घंटे रहे. बाहर आने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है. इसके बाद मस्जिद कमेटी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अंजुमन इंतेजामिया मस्जदित कमेटी ने फरवरी की शुरुआत में ही जिला जज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी.