ABC News: वह छोटी सी कोठरी में 220 दिनों से कैद है. उम्र है चार साल और नाम पुष्पा. हां…नाम सुनके फ्लावर समझने की गलती मत कीजिए, बाघिन है, वो भी खूंखार. अब पुष्पा को अपनी बाकी की जिंदगी भी सलाखों के पीछे ही गुजारनी पड़ेगी. जंगल के सबसे बड़े शिकारियों में शामिल इस बाघिन ने न तो किसी इंसान को मारा है और न घायल किया है. उसका गुनाह सिर्फ इतना है कि वह आत्मरक्षा में अपने से ताकतवर बाघ से लड़ गई थी. इस लड़ाई में उसका दांत टूट गया था. एटा से लाकर इटावा लॉयन सफारी में रखी गई पुष्पा शुक्रवार दोपहर कानपुर जू लाई जाएगी.
इटावा लॉयन सफारी के निदेशक डॉ. एसएन मिश्रा ने बताया कि मार्च 2022 में एटा कोतवाली के गांव नगला समल में भोर मेंर बाघिन घुसने की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी थी. इस पर डॉ. सर्वेश राय के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम गांव पहुंची और पूरे दिन रेस्कयू ऑपरेशन चलाया. देर रात बाघिन जख्मी हालत में एक मकान की छत पर बेहोश मिली थी. बेहोशी में ही टीम ने उसका परीक्षण किया और इलाज के लिए इटावा लॉयन सफारी लाया गया. कई महीनों के इलाज के बाद अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है. हालांकि उसका ऊपरी दायां कैनाइन टीथ टूट गया है. इसके चलते अब उसे जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता है. बाघिन पुष्पा को लेकर डॉ. रॉबिन यादव और रेंजर अशोक कुमार कानपुर जू आएंगे. प्राथमिक जांच के बाद उसे बाघ बादल और बघीरा के बगल वाले बाड़े में रखा जाएगा. पहले इसमें बाघ अमर रहता था जो कुछ माह पहले गोरखपुर जा चुका है. बाघिन के आने के बाद जू में बाघों की संख्या 9 हो जाएगी. इनमें दो सफेद बाघ शामिल हैं. इटावा लॉयन सफारी से लाई जा रही बाघिन पुष्पा का गुरुवार को दिनभर इंतजार होता रहा, लेकिन वह नहीं आई. उसके आगमन को लेकर चिड़ियाघर के प्रबंधन से लेकर डॉक्टर और कर्मचारी तक सभी उत्साहित दिखे. जिस बाड़े में उसे रखा जाना है,शुक्रवार सुबह उसकी साफ-सफाई से लेकर धुलाई तक की गई. हालांकि पीआरओ विश्वजीत तोमर के मुताबिक बाघिन को लाए जाने की तैयारियां पूरी थीं, लेकिन इटावा लॉयन सफारी के कीपर और डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद वह उस विशेष तरह के पिंजड़े में नहीं घुसी. जिसमें रखकर उसको लाया जाना है. अब शुक्रवार रात को फिर से उसे उस पिंजड़े में लाने के प्रयास किया जाएगा.