ABC News: उत्तराखंड के जोशीमठ के स्थानीय लोगों ने नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.वहीं स्थानीय लोगों ने अपने आवासीय मकान सहित दुकानों में गाड़ियों में एनटीपीसी के खिलाफ ‘एनटीपीसी गो बैक’ के पोस्टर लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया है. जोशीमठ में हो रहे लगातार भू धंसाव से एक ओर जहां जोशीमठ का अस्तित्व लगातार खतरे में हैं, वही जोशीमठ के स्थानीय लोग इसका जिम्मेदार एनटीपीसी को मान रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने एनटीपीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सड़कों पर उतरे. वही अब ग्रामीणों ने अपने आवासीय मकान,दुकानों एवं वाहनों में एनटीपीसी गो बैक पोस्टर लगाना शुरू कर दिया है. दूसरी तरफ भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे की प्लेटफार्म पर दरारें आ गई हैं.इस खतरे को देखते हुए रोपेव का संचालन बंद कर दिया गया है. शुक्रवार रात को रोपवे पर ये दरारें आई हैं.रोपवे का एक टावर प्रशासन की ओर से असुरक्षित घोषित किए क्षेत्र में है. इस वजह से रोपवे को लेकर भी आशंकाएं तेज हो गई थीं. जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से जोशीमठ-औली रोपवे भी प्रभावित हो गया है.इससे पहले प्रशासन ने जहां चार वार्डों को असुरक्षित घोषित किया है,उसमें मनोहर बाग वार्ड भी है. रोपवे का एक नंबर टावर यहीं लगा है.रोपवे प्रबंधक दिनेश भट्ट का कहना था कि रोपवे के टावर की हर दिन नियमित निगरानी की जा रही है.
उत्तराखंड: जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते जोशीमठ-औली को जोड़ने वाली रोप वे के प्लैटफ़ॉर्म में दरार आई।
रोपवे मैनेजर दिनेश भट्ट ने बताया, “यह दरारें कल से आई हैं और इससे खतरा बना हुआ है। हमने एहतियात के तौर पर रोपवे बंद किया है। रोपवे अगले आदेश तक बंद है।” pic.twitter.com/fTVybqmnTn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2023
जोशीमठ से औली तक इस रोपवे की दूरी करीब चार किमी है.इसमें 10 टावर लगे हैं.रोपवे से जोशीमठ से औली पहुंचने में 15 मिनट का समय लगता है.औली जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही रहता है.वहीं जोशीमठ शहर में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल ने सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) का सर्वे कराने का फैसला किया है.पहले चरण में नगर निगम,नगर पालिका,नगर पंचायत क्षेत्रों में सर्वे कराने की मंजूरी दे दी गई है.आबादी और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों से पर्वतीय शहरों में धारण क्षमता से अधिक दबाव बढ़ रहा है.जोशीमठ भू धंसाव के पीछे एक वजह शहर की भार वहन क्षमता से अधिक निर्माण को भी ठहराया जा रहा है.ॉ