ABC News: पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन को जिंदा कर पंजाब से लेकर जम्मू तक को सुलगाने की तैयारी की जा रही है और वहां एक नया भिंडरावाला पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस बाबत तिहाड़ जेल में बैठे आतंकी नेता जगतार सिंह हवारा के निर्देश पर एक बैठक भी आय़ोजित की गई. इन सूचनाओं के बाद खुफिया एजेंसियोंं के कान खडे़ हो गए हैं और विवादास्पद संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ समेत कुछ सगंठनों और उसके मुखिया को जांच के घेरे में लाया गया है. इसके साथ ही ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया अमृतपाल के सोर्स आफ फाइनेंस की जांच के आदेश भी दिए गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पंजाब में बनाए गए आंतकी अपराधी गठजोड़ को अपनी सफलता मान रही है और अब वह पंजाब और जम्मू को दहलाने के लिए एक बार फिर खालिस्तान का भूत जिंदा करना चाहती है. इसके तहत उसने अपने संपर्क में रहने वाले सिख आंतकी नेताओं को निर्देश दिए हैं कि खालिस्तान मुद्दे को एक बार जिंदा किया जा सकता है. पंजाब से जम्मू तक आंतकी अपराधी गठजोड़ को एक नया सहयोगी दिया जा सकता है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली इस सूचना के बाद तमाम सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को इस बाबत जानकारी एकत्र करने को कहा गया है.खुफिया एजेंसियों की कुछ दिनों पहले हुई बैठक में इस बाबत जुटाई गई जानकारी में अनेक सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. दस्तावेजों के मुताबिक तिहाड जेल में बंद कुख्यात आतंकवादी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंतसिंह के हत्यारे जगतार सिंह हवारा के निर्देश पर चंडीगढ़ में एक बैठक बुलाई गई. इस बैठक में अनेक कट्टरवादी सिख संगठनों ने भाग लिया. इस बैठक में लगभग 100 लोग मौजूद थे और इस में हवारा कमेटी, वारिस पंजाब दे और अकाल यूथ के नेता भी शामिल थे. खुफिया रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है कि इस बैठक में पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए खालिस्तान के मुद्दे पर चर्चा हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुफिया दस्तावेजों के मुताबिक इस मामले में कट्टरपंथी सिख संगठन वारिस पंजाब दे के नए मुखिया अमृतपाल सिंह ने दमदमी टकसाल अमृतसर के एक पूर्व नेता से मुलाकात की थी. यह नेता जम्मू का रहने वाला बताया जाता है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक यह मुलाकात अकाली दल अमृतसर के मुखिया सांसद सिमरनजीत सिह मान के यहां हुई थी. इस बैठक के दौरान अमृतपाल ने जम्मू में रहने वाले इस नेता से जानना चाहा कि वहां के युवा सिखों की मानसिकता क्या है. उसने अपनी योजना बताते हुए कहा कि वह जम्मू में अपनी जैसी मानसिकता वाले ऐसे युवा सिखों से मुलाकात करना चाहता है जो अपनी जान सिख पंथ के लिए दे सकें.