पति की मौत की खबर सुन प्रेग्नेंट महिला ने दे दी थी जान, अब वह जिंदा निकला

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ABC NEWS: ओडिशा के भुवनेश्वर में 31 दिसंबर को एक अस्पताल में एसी कंप्रेसर में धमाके में एक मैकेनिक की मौत हो गई. मैकेनिक की मौत की खबर उसके घर पहुंची तो उसकी गर्भवती पत्नी ने जान दे दी. अब पता चला है कि हादसे में मरने वाला गर्भवती महिला का पति नहीं, बल्कि कोई और था. मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. एक तरफ गर्भवती की सास अपनी बहू की मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार मान रही है. वहीं, जिस व्यक्ति को बाद में मृत बताया गया, उसके पिता को मलाल है कि वह आखिरी बार अपने बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाए, क्योंकि दिलीप समझ उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. अस्पताल का कहना है कि बहुत ज्यादा जल जाने के चलते शव को पहचानने में गलतफहमी हुई. दूसरी तरफ, जिस कर्मचारी से शव की पहचान कराने की बात कही जा रही है कि उसका दावा है कि मैंने सिर्फ उन्हें नाम बताया था, पहचान नहीं की थी.

31 दिसंबर को हुआ था धमाका
भुवनेश्वर के इस हाई-टेक हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज के मालिक बीजेडी नेता तिरुपति पाणिग्रही हैं. इस अस्पताल में 31 दिसंबर को एसी कंप्रेसर में धमाका हुआ था, जिसमें एक मैकेनिक की मौत हो गई. मरने वाले का नाम दिलीप समांत्रे बताकर उसके घर सूचना भेज दी गई थी। दिलीप की 24 वर्षीय पत्नी सौम्यश्री जेना गर्भवती थी. पति की मौत खबर सुनते उसने अपने पिता के घर में फांसी लगाकर जान दे दी थी. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि 31 दिसंबर को एसी कंप्रेसर में धमाके के चलते जिसकी जान गई वह दिलीप समांत्रे नहीं, बल्कि ज्योति रंजन मलिक था. काफी ज्यादा जल जाने के चलते शव की पहचान नहीं हो सकी और एक जनवरी को दिलीप समांत्रे के घर मौत की सूचना भेज दी गई. हाई-टेक हॉस्पिटल की सीईओ स्मिता पाढ़ी ने बताया कि कंप्रेसर ब्लास्ट में कुल चार लोग घायल हुए थे. इनमें से दो 90 फीसदी से ज्यादा जल गए थे। इन चारों के नाम सीमांचल बिश्वास, श्रीतम साहू, ज्योतिरंजन मलिक और दिलीप समांत्री है. इनमें से श्रीतम साहू समेत दो की मौत हो चुकी है.

आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मचारी
स्मिता पाढ़ी के मुताबिक यह सभी एक आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मचारी थे, जो अस्पताल के एसी कंप्रेसर में गैस भर रहे थे. धमाके के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी के ही एक कर्मचारी ने चारों घायलों की पहचान की थी. पाढ़ी के मुताबिक जब इन चारों घायलों में से एक व्यक्ति की 31 दिसंबर को मौत हुई तो उसी एजेंसी के एक कर्मचारी ने हमें बताया कि मरने वाला दिलीप समांत्रे था. इसके बाद प्रक्रिया का पालन करते हुए हमने इसकी सूचना पुलिस को दी. मरने वाले के पिता ने भी शव की पहचान अपने बेटे दिलीप समांत्री के रूप में की थी और फॉर्म पर साइन भी किया था.

ऐसे खुला मामला
मामला उस वक्त खुला जब गुरुवार शाम एक कर्मचारी वेंटिलेटर से वापस लौटा और रिस्पांस करने लगा. अभी तक इसका इलाज ज्योति रंजन मलिक समझकर हो रहा था. लेकिन जब डॉक्टरों ने उससे बात की तो उसने अपना नाम दिलीप समांत्रे बताया. स्मिता पाढ़ी ने बताया कि जब कंफ्यूजन हुआ तो इलाज कर रहे डॉक्टरों ने इसकी जानकारी साइकियाट्रिस्ट अमृत पत्ताजोशी को दी. इसके बाद डॉक्टर अमृत ने मरीज से उसके परिजनों का नाम पूछा जो उसने सही-सही बता दिया. इसके बाद शोक मना रहे उसके परिवार को वहां पर बुलाया गया. इन लोगों से बातचीत में भी मरीज से सारे सवालों का सही जवाब दिया. यहां तक कि उसने अपने भतीजे को भी पहचान लिया. पाढ़ी ने बताया कि तब जाकर हमें पता चला कि असल में जो मरा वह ज्योति रंजन मलिक था.

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