ABC NEWS: आर्थिक कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान में अब बिजली का संकट भी गहराने लगा है. पूरे पाकिस्तान में कई जगहों पर लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इतने ज्यादा खराब हो चुके हैं कि लोग अब सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कंपलीट ब्लैकआउट, लोड शेडिंग, ट्रिपिंग और लो वोल्टेज के मुद्दे पर पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. कलात के गरीबाबाद के लोग लंबे समय से बिजली और गैस की समस्या से जूझ रहे हैं. लोड शेडिंग, ट्रिपिंग, लो वोल्टेज के अलावा लोगों को लंबे समय से प्राकृतिक गैस की अनियमित आपूर्ति का भी सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तानी स्थानीय मीडिया, इंतेखाब डेली के मुताबिक, लोगों ने अधिकारियों से शिकायत की है लेकिन स्थिति फिर भी नहीं बदली. निराश लोगों को विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. बता दें कि पाकिस्तान में बिजली आपूर्ती का बड़ा जिम्मा चीनी कंपनियों पर भी है. कई संयुक्त बिजली परियोजनाएं हैं जिन पर चीन और पाकिस्तान एक साथ काम कर रहे हैं.
गुस्से में रोड ब्लॉक कर रहे लोग
बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और महिलाओं व बच्चों के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजमार्ग को ब्लॉक कर दिया. कराची-क्वेटा पर यातायात बुरी तरह बाधित हो गया. गरीबाबाद में पिछले महीने एक ट्रांसफार्मर जल गया था और तब से लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं. अभी तक न तो ट्रांसफार्मर की मरम्मत की गई है और न ही इसे बदला गया है. यही नहीं, खराब ट्रांसफार्मर को स्थानीय लोगों ने अपने खर्चे पर कई बार ठीक करवाया था लेकिन अब वह इस हालत में नहीं है कि उसकी मरम्मत की जा सके. बिजली कंपनी इसे बदलने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है.
इस बीच, पेशावर की एक बस्ती रेगी के लोगों ने भी पूरी तरह से ब्लैकआउट के खिलाफ नासिर बाग रोड पर विरोध प्रदर्शन किया और सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए. उन्होंने टायर जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया. प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी है कि अगर बिजली की आपूर्ति शुरू नहीं की गई, तो वे मुख्य सड़क के साथ-साथ ग्रिड स्टेशन पर भी हमला करने से परहेज नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि अगर उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे आगामी चुनावों में मतदान का बहिष्कार करेंगे. इसके अलावा, स्कार्दू में, आम लोगों के साथ-साथ व्यापारी भी सड़कों पर उतर आए और व्यापक लोड शेडिंग के खिलाफ मुख्य राजमार्ग को ब्लॉक कर दिया. स्थानीय मीडिया डेली के2 ने बताया कि अस्ताना चमक रोड पर यातायात पूरी तरह से ब्लॉक हो गया और वाहनों की लंबी कतारों के कारण पूरी तरह से अफरातफरी मच गई.
धैर्य की परीक्षा न ले सरकार, लोगों ने चेताया
स्थानीय मीडिया ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग करते हुए कहा कि लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. बिजली संकट और खराब ट्रांसफॉर्मर के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने गिलगित में भी मेन रोड जाम कर दिया.
बता दें कि पाकिस्तान में बिजली आपूर्ती का एक बड़ा हिस्सा चीन संभालता है। एक दिन पहले पाकिस्तान के नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (नेप्रा) के प्रमुख तौसीफ फारूकी ने चेतावनी दी थी कि नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना की सुरंग कभी भी ढह सकती है और इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को बिजली पर उच्च सदन की स्थायी समिति की बैठक में सीनेटरों के सवालों के जवाब में, तौसीफ फारूकी ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि “अगर सुरंग का बाकी हिस्सा गिर गया तो क्या होगा.”
तो 120 अरब रुपये का नुकसान झेलेंगे उपभोक्ता
उन्होंने कहा कि जुलाई में सुरंग के बंद होने के बाद से बिजली उपभोक्ता हर महीने 10 अरब रुपये का भुगतान कर रहे हैं. नेप्रा के अध्यक्ष ने समिति को बताया, “अगर यह सुरंग एक साल तक और बंद रहती है, तो उपभोक्ताओं को 120 अरब रुपये का नुकसान होगा.” डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, समिति की अध्यक्षता करने वाले सीनेटर सैफुल्ला अब्रो ने देश की प्रमुख पनबिजली परियोजना के मामलों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और फारूकी से पुनर्वास कार्य की प्रगति के बारे में पूछा.
नेप्रा प्रमुख ने कहा, “नुकसान की मरम्मत के लिए कार्य प्रगति पर है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सुरंग बाद में नहीं गिरेगी.” इस बीच, परियोजना के सीईओ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुरंग में बहाली का काम अगले साल जून तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने समिति को बताया कि सुरंग का निरीक्षण करने के बाद अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम ने दो प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी थी.
साथ छोड़कर भागा चीन
गौरतलब है कि चीन ने सितंबर में मेगा 969-मेगावाट की पाकिस्तान की नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना की मरम्मत को बीच में छोड़ दिया था. चीन ने बिजली संयंत्र पर स्थानीय विरोध और विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान करने में पाकिस्तान पुलिस की विफलता का बहाना बनाया था. हालांकि, चीन के अचानक पीछे हटने से संयुक्त जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान और चीन के बीच एक बड़ी दरार पैदा हो गई है. इससे पहले भी चीनी कंपनियां पैसों के भुगतान को लेकर पाकिस्तान को धमकी दे चुकी हैं.