पद्म पुरस्कारों का ऐलान, देश की पहली महिला महावत समेत इन 34 ‘गुमनाम नायकों’ को मिलेगा पद्मश्री

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ABC NEWS: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार शाम पद्म पुरस्कारों घोषणा कर दी गई. राष्ट्र ने ऐसे गुमनाम नायकों को सम्मानित किया है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जो आम जनजीवन के लिए प्रेरणा हैं और उनकी जीवन गाथा लोगों को सकारात्मक संदेश दे सकती है. इस लिस्ट में 34 नायकों को शामिल किया गया है.  इनमें पार्वती बरुआ (पहली महिला महावत), जागेश्वर यादव (आदिवासी कार्यकर्ता),  चामी मुर्मू (जनजातीय पर्यावरणविद् एवं महिला सशक्तिकरण) जैसे नाम शामिल हैं.

पारबती बरुआः पहली महिला महावत

असम की पारबती बरुआ 67 वर्ष की हैं. उन्हें सामाजिक कार्य (पशु कल्याण) के क्षेत्र में पद्मश्री से नवाजा गया है. पारबती भारत की पहली महिला महावत, जिन्होंने पुरुष प्रधान क्षेत्र में परंपरागत रूप से अपने लिए जगह बनाने के लिए रूढ़िवादिता खिलाफत की, और इसके लिए प्रतिबद्ध रहीं. मानव और हाथियों के बीच संघर्ष के संकट के निपटारे में उन्होंने राज्य सरकारों को सहायता दी, साथ ही जंगली हाथियों को कैसे पकड़ें और उनकी समस्या से कैसे निपटें इसके लिए भी उनकी वैज्ञानिक विधियां कारगर रहीं.

पारबती को अपने पिता से यह कौशल विरासत में मिला और उन्होंने 14 साल की काफी छोटी उम्र से ही इसकी शुरुआत कर दी थी. इस कार्य में उन्होंने 4 दशकों से अधिक समय दिया है और हाथियों से कई लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक संपन्न पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने इसे बतौर अपना लक्ष्य चुना. एक साधारण जीवन जीना और लोगों की सेवा के लिए समर्पित जीवन ही उनका लक्ष्य बन गया.

जागेश्वर यादव: बिरहोर के भाई
• जशपुर से आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जो के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया हाशिये पर पड़े बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोग

• जशपुर में आश्रम की स्थापना की जिसके लिए कार्य किया निरक्षरता को खत्म करना और स्वास्थ्य सेवा को उन्नत करना शिविर लगाकर मानक

• महामारी के दौरान टीकाकरण की सुविधा, झिझक को दूर करने से शिशु को कम करने में भी मदद मिली मृत्यु दर

• आर्थिक तंगी के बावजूद उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए बने रहे पद्मश्री | सामाजिक कार्य (आदिवासी – पीवीटीजी) | छत्तीसगढ़ | 67 वर्ष

चामी मुर्मू सरायकेला के सहयोगी

• जनजातीय पर्यावरणविद् एवं महिला सशक्तिकरण सरायकेला खरसावां से चैंपियन

• 30 लाख से अधिक वृक्षारोपण के प्रयासों को गति दी गई 3,000 महिलाओं के साथ पौधे

• सशक्त बनाकर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की शुरुआत की के गठन के माध्यम से 40+ गाँवों में 30,000 महिलाएँ अनेक स्वयं सहायता समूह और रोजगार के अवसर प्रदान करना

• अपने एनजीओ ‘सहयोगी महिला’ के माध्यम से प्रभावशाली पहल की सुरक्षित मातृत्व, एनीमिया और कुपोषण में कार्यक्रम, और किशोरियों की शिक्षा पर जोर दिया

• अवैध कटाई, लकड़ी के खिलाफ उनका अथक अभियान माफिया एवं नक्सली गतिविधियों एवं सुरक्षा के प्रति समर्पण वन्य जीवन और वनों ने उसे सामंजस्य स्थापित करने वाली ताकत बना दिया है पद्मश्री | सामाजिक कार्य (पर्यावरण – वनरोपण) | झारखंड | 52 वर्ष

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