OROP: सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को झटका, जानें क्यों कहा- आप कानून हाथ में नहीं ले सकते

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ABC News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सशस्त्र बलों के रिटायर्ड कर्मियों को पेंशन न दिए जाने पर चिंता व्यक्त की. एक महीने में यह दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ में वन रैंक वन पेंशन मामले पर सुनवाई हुई. पीठ ने ओआरओपी पर केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के हालिया कम्युनिकेशन पर नाराजगी जताते हुए इसे वापस लेने को कहा.

पीठ ने कहा, एरियर को चार किस्तों में भुगतान करने का पत्र जारी कर आप कानून को हाथ में नहीं ले सकते हैं. कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से 20 जनवरी के उस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने को कहा है, जिसमें चार किस्तों में वन रैंक वन पेंशन (OROP) के भुगतान करने की बात कही गई थी. कोर्ट ने कहा, रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता है. इसपर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने पूर्व सैनिकों के बकाया OROP एरियर का भुगतान एक किस्त में कर दिया है, लेकिन पूरी तरह से भुगतान करने के लिए और अधिक समय चाहिए. इस पर पीठ ने वेंकटरमानी से कहा, ‘पहले ओआरओपी बकाया के भुगतान पर 20 जनवरी की अधिसूचना वापस लें, फिर हम समय के लिए आपके आवेदन पर विचार करेंगे.’ पीठ ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का 20 जनवरी का कम्युनिकेशन उसके फैसले के पूरी तरह विपरीत था और वह एकतरफा यह नहीं कह सकता कि वह चार किस्तों में OROP का बकाया भुगतान करेगा. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को भुगतान के लिए बकाया की मात्रा, भुगतान प्रक्रिया के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों और प्राथमिकता को लेकर एक डिटेल नोट तैयार करने के लिए भी कहा. पीठ ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि किसी प्रकार का वर्गीकरण होना चाहिए और वृद्ध लोगों को पहले बकाया का भुगतान किया जाना चाहिए. मुकदमेबाजी शुरू होने के बाद से चार लाख से अधिक पेंशनरों की मृत्यु हो चुकी है.’

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