ANC NEWS: UP विधानसभा और विधान परिषद सचिवालय में हुई भर्ती जांच के घेरे में आ गई है. वर्ष 2022 और 2023 को हुई विधानमंडल में हुईं भर्तियां जांच के घेरे में आई हैं. दरअसल, यूपी विधानसभा और विधानमंडल में इन पदों पर हुई भर्तियों में अनियमितता के आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की गई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में विशेष अपील दाखिल की गई थी. इस याचिका की सुनवाई के दौरान बेंच ने का धांधलियों का स्वत संज्ञान लिया. सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.
सीबीआई जांच के आदेश से भर्ती से जुड़े विधानसभा के तमाम बड़े लोगों पर आंच आना तय माना जा रहा है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि चयन प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार कर बाहरी भर्ती एजेंसियों को तरजीह दी गई. नियमों में मनमाने संशोधन भी किए गए. हाईकोर्ट ने धांधली के इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है. सीबीआई से शुरुआती जांच रिपोर्ट 6 हफ्ते में मांगी है. साथ ही शिकायतकर्ता की तरफ से पेश किए गए मूल रिकॉर्ड सील कवर में रखवा दिए हैं. हाईकोर्ट ने विशेष अपील और जनहित याचिका को नवंबर के पहले हफ्ते में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.
मालूम हो कि इससे पहले उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती घोटाला (Uttarakhand recruitment scam) सामने आया था. इसमें अनियमितता पाए जाने के बाद 228 कर्मियों (Backdoor Bharti) हटा दिया गया था. फैसले के खिलाफ आरोपी सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई.उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा सचिवालय से 228 कर्मियों को बर्खास्त किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी. स्पीकर ने उत्तराखंड विधानसभा भर्ती की जांच समिति की रिपोर्ट के बाद यह निर्णय किया था. डीके कोटिया समिति ने भर्ती में भारी अनियमितताएं पाई थीं.
उत्तराखंड चयन आयोग की कई अन्य भर्तियों में भी अनियमितताएं पाए जाने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने भर्ती परीक्षाओं को रद्द कर दिया था. इसके बाद नए सिरे से एग्जाम आयोजित करने का फैसला लिया गया था.