ABC NEWS: आज शनिवार को न्याय के देवता शनि देव को प्रसन्न करने से दुखों का अंत होता है. शनि देव को क्रूर ग्रह कहा जाता है, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि शनि महाराज स्वयं से लोगों को प्रताड़ित नहीं करते हैं. लोग जैसे कर्म करते हैं, वैसा ही फल उनको शनि देव प्रदान करते हैं. यदि आपने बुरे कर्म किए हैं तो उनकी दशा आने पर या साढ़ेसाती-ढैय्या के समय दुख भोगने पड़ते हैं. कहा जाता है कि शनि देव किए गए कर्मों का हिसाब करते हैं. यदि आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सप्ताह का शनिवार दिन इसके लिए उत्तम है. शनिवार को पूजा के समय शनि देव को उनके प्रिय फूल और पौधे के पत्तों को अर्पित करते हैं तो उनकी कृपा प्राप्त हो सकती है. इससे आपको साढ़ेसाती और ढैय्या की दशा में राहत मिल सकती है, दुखों का अंत तुरंत होना प्रारंभ हो सकता है.
शनि देव के प्रिय फूल और पौधे
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, शनि देव को आक का फूल यानि मदार का फूल बहुत ही प्रिय लगता है. इसके अलावा शनि देव का प्रिय पेड़ शमी है. यदि आप शनिवार की पूजा में ये दोनों चीजें शनि देव को चढ़ाते हैं तो आपके बिगड़े काम बन सकते हैं.
शनि देव को चढ़ाएं आक का फूल
ज्योतिष उपायों के मुताबिक शनि देव को आक का फूल चढ़ाने से साढ़ेसाती और ढैय्या में मिलने वाले कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं. भगवान शिव को भी पूजा में आक का फूल अर्पित किया जाता है. जब भी आप आक का फूल तोड़ने जाएं तो थोड़ी सावनधानी बरतें क्योंकि उसे तोड़ने पर पौधे में से सफेद द्रव निकलता है, उसे आंखों के लिए हानिकारक माना जाता है. ध्यान रखें कि फूल तोड़ने के बाद अच्छे से हाथ साफ कर लें.
शनि देव को अर्पित करें शमी के पत्ते
शनि देव का प्रिय पौधा शमी है. पूजा के समय शनि महाराज को शमी के पत्ते, शमी के फूल, जड़ और उसका फल चढ़ाया जाता है. इससे शनि देव का आशीर्वाद मिलता है, दुख दूर होते हैं और धन संकट भी खत्म होता है. शमी के पौधे को जल चढ़ाने और उसके नीचे सरसों का दीपक जलाने से शनि देव खुश होते हैं.
शनिवार को लगाएं शमी का पौधा
शनिवार के दिन आप अपने घर पर शमी का पौधा लगा सकते हैं. शमी को देव वृक्ष माना जाता है. इसको लगाने के नियम हैं, उसका पालन करना जरूरी है, तभी आपको लाभ होगा. इस बात का ध्यान रखें कि शमी का पौधा लगा रहे हैं तो उसकी देखभाल करें. नियमित जल दें. शनिवार को पूजा करें और दीपक जलाएं. आप पर शनि देव की दया दृष्टि बनी रहेगी.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी