ABC News: भारत के साथ चीन के रिश्ते हमेशा से खराब रहे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण है कि चीन की नजरें लगातार अपने पड़ोसी मुल्कों की जमीन हड़पने पर रही हैं. फिर चाहे वो गलवान हो या अरुणाचल प्रदेश, हर जगह चीन ने कई बार घुसपैठ की कोशिश की है. जिससे भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच तनातनी का माहौल बना है. एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय नौसेना के लिए परेशानी का सबब बन रही है. अब इसे लेकर अमेरिका ने अपने डोजियर में कई खुलासे किए हैं.
अमेरिका की तरफ से हाल ही में चीन को लेकर डिफेंस एनुअल रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें कई तरह के चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. पेंटागन की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कैसे चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है और साल 2035 तक चीन के पास 1500 से ज्यादा खतरनाक परमाणु हथियार होंगे. इस अमेरिकी रिपोर्ट में उस जिबूती बेस का भी जिक्र किया गया है, जहां से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है. एनडीटीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में इसी बेस की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, जिनमें देखा गया था कि यहां चीन ने एक विशालकाय जहाज तैनात किया है, जो युद्ध के नजरिए से चीन की सेना के लिए काफी अहम है. अब अमेरिका की चीन को लेकर इस रिपोर्ट में भी बताया गया है कि इस साल मार्च में FUCHI II क्लास का एक समुद्री जहाज जिबूती बेस पर मौजूद था, जिससे ये साबित होता है कि ये बेस पूरी तरह से ऑपरेशनल है. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चीनी सेना की तरफ से जिबूती में जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, उसमें किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन को तैनात किया जा सकता है. यानी ये चीनी सेना के लिए युद्ध के एक बड़े बेस की तरह है, जहां से चीनी सेना किसी भी तरह की हरकत कर सकती है. चीन छोटे देशों में ऐसे ठिकानों की तलाश में रहता है जहां वो अपना मिलिट्री बेस तैयार कर सके. ऐसा करने से वो लगातार खुद को दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत करने का काम करता है. चीन पिछले काफी वक्त से लगातार एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में जुटा है, जिनसे तमाम तरह के लड़ाकू विमानों को ऑपरेट किया जा सके.
अभी चीन के पास तीन ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जिनकी अलग-अलग क्षमताएं हैं. वहीं अगर भारतीय नौसेना की बात करें तो यहां सिर्फ दो ही बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. जिनमें एक रूस में बना आईएनएस विक्रमादित्य है और दूसरा आईएनएस विक्रांत है. जिसे पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं. चीन हिंद महासागर में इस पूरे इलाके के नजदीक कुछ बड़ा करने जा रहा है, ये बात इससे भी साबित होती है कि वो इसे छिपाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटा है. अमेरिकी रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारी नजरों से बचने के लिए चीनी सेना कई तरह के हथकंडे अपना रही है. अमेरिकी ड्रोन्स और सैटेलाइट को ब्लाइंड करने के लिए जमीन पर लेजर लगाए गए हैं, साथ ही चीनी सेना अमेरिका के ड्रोन्स को भी लगातार टारगेट कर रही है. अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जिबूती में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती की योजना बना रहा है. दक्षिण चीन सागर में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए चीन ने यहां कई आर्टिफिशियल आइलैंड तैयार किए हैं. साल 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंबोडिया के रीम नौसैनिक अड्डे पर भी चीन लगातार निर्माण कर रहा है. यहां के बंदरगाहों में तमाम तरह की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, जो बड़े सैन्य जहाजों की डॉकिंग के लिए जरूरी होगा. जिबूती नेवी बेस की बात करें तो इसे चीन 2016 से बना रहा है. चीन ने इस बेस को बनाने में करीब 590 मिलियन डॉलर का खर्चा किया है. ये बेस बाब-एल-मंडेब जलडमरूमध्य (जलसंधि) पर स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बड़े चैनलों में से एक है. इसीलिए जिबूती बेस भारत के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत पर भारतीय नौसेना की भी पैनी निगाहें हैं. ताजा बयान में भारतीय नौसेना ने इसका जिक्र भी किया. बुधवार 30 नवंबर को नौसेना की तरफ से कहा गया कि हिंद महासागर में चीनी घुसपैठ के मामले असामान्य नहीं हैं. नेवी ने कहा कि वो इस रणनीतिक क्षेत्र में देश के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. साउदर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल एम ए हंपीहोली ने कहा कि भारतीय नौसेना सैटेलाइट्स और समुद्री विमानों की मदद से इस क्षेत्र में नजर रखती है. इससे पहले चीन के जासूसी जहाज ने लगातार दो बार हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठ की थी. हंपीहोली ने चीनी जासूसी जलपोत के श्रीलंकाई बंदरगाह पहुंचने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की घुसपैठ असामान्य नहीं है. वे पिछले कुछ समय से यहां आते रहे हैं. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम अपने हित वाले क्षेत्रों को पूरी तरह निगरानी में रखते हैं. हम कई तरीकों से ऐसा करते हैं.’’