चांद पर सो रहे विक्रम और प्रज्ञान के लिए नई मुसीबत, सता रहा बड़ा खतरा; कहीं हो न जाए अनहोनी

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ABC NEWS: इसरो को अगस्त महीने में तब बड़ी सफलता मिली, जब उसने चंद्रयान-3 को सकुशल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करवा दिया. इसके साथ ही, भारत का 14 दिनों का मून मिशन भी चालू हो गया. बाद में चंद्रमा पर रात होने के बाद प्रज्ञान और विक्रम को चांद पर स्लीप मोड में डाल दिया गया. हालांकि, रात के बाद सुबह भी हुई, लेकिन एक्टिव नहीं हो सका. कई दिन बीत जाने के बाद अभी इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि हो सकता हो कि किसी दिन विक्रम और प्रज्ञान फिर से सक्रिय हो जाए.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि विक्रम लैंडर अपना काम बहुत अच्छे से करने के बाद चंद्रमा पर खुशी से सो रहा है. अंतरिक्ष यान स्लीप मोड में रहता है, तो चांद पर उसे नए खतरों का सामना करना पड़ सकता है. उसके लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है. दरअसल, ‘इंडिया टुडे’ के अनुसार, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को निष्क्रिय कर दिया गया है और अब चंद्रमा पर उनके सामने सबसे बड़ा खतरा सूक्ष्म उल्कापिंड प्रभावों का है जो चंद्रमा की सतह पर बमबारी करते रहते हैं. ऐसे में किसी बड़ी अनहोनी का डर भी है. इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों (प्रज्ञान और विक्रम) माइक्रोमीटरोइड्स से प्रभावित हो सकते हैं, जो चंद्रमा की सतह से टकराते रहते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि इसरो को पहले से इसके बारे में पता नहीं था, बल्कि उसे पहले से ही पता था और अतीत में मिशनों को इस तरह का नुकसान भी उठाना पड़ चुका है. इसमें अपोलो अंतरिक्ष यान भी शामिल है.

मणिपाल सेंटर फॉर नेचुरल साइंसेज के प्रोफेसर और निदेशक डॉ. पी. श्रीकुमार ने बताया कि चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल या ऑक्सीजन नहीं है, इसलिए अंतरिक्ष यान के क्षरण का कोई खतरा नहीं है. हालांकि, अभी यह देखना होगा कि चांद की ठंडी रातों के अलावा कहीं सूक्ष्म उल्कापिंड तो अंतरिक्ष यान को नुकसान तो नहीं पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा, “चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है इसलिए सूर्य से लगातार रेडिएशन की भी बमबारी हो रही है. इससे कुछ नुकसान भी हो सकता है. हालांकि, हमें अभी तक पता नहीं है कि क्या होगा क्योंकि इसके संबंधित ज्यादा डेटा नहीं है.”

इसरो को प्रज्ञान रोवर के जगने की अब भी उम्मीद
इससे पहले इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर सो गया है, लेकिन इसके नींद से जागने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि रोवर और लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सो गए. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग था और इसके बाद अगले 14 दिनों तक प्रयोग किए गए और सभी आवश्यक डेटा एकत्र कर लिया गया है. उन्होंने आगे कहा था, ”अब वहां शांति से सो रहा है…इसे अच्छे से सोने दो…हम इसे परेशान न करें…जब यह अपने आप उठना चाहेगा, तो उठेगा…मैं अभी इसके बारे में यही कहना चाहता हूं.” यह पूछे जाने पर कि क्या इसरो को अब भी उम्मीद है कि रोवर फिर से सक्रिय हो जाएगा, अध्यक्ष ने जवाब दिया, “आशा रखने का कारण है.”

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