मुरली विजय का दावा, ‘मुझे वीरेंद्र सहवाग जैसी आजादी नहीं मिली, अगर ऐसा होता तो…’

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ABC News: वीरेंद्र सहवाग ने दुनिया में टेस्‍ट ओपनर्स की छवि को बदलकर रख दिया. सहवाग ने वनडे में तो सफलता हासिल की ही थी, लेकिन उन्‍होंने अपनी बल्‍लेबाजी से टेस्‍ट क्रिकेट की बंदिशों को चकनाचूर कर दिया. उनके टेस्‍ट में आंकड़ें वनडे और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट से बेहतर रहे. सहवाग अपने फुटवर्क के लिए नहीं जाने जाते थे. अपने हैंड-आई कॉर्डिनेशन के दम पर अगर आप 10 हजार से ज्‍यादा रन बना लें, जिसमें दो तिहरे शतक और छह दोहरे शतक शामिल हो तो किसको चिंता होगी?

सहवाग के संन्‍यास के बाद भारत ने ओपनिंग पर कई लोगों को आजमाया, लेकिन कोई उनके जैसी सफलता को नहीं दोहरा पाया. सहवाग-गंभीर के बाद भारतीय टीम अब भी टेस्‍ट क्रिकेट में अच्‍छी ओपनिंग जोड़ी की तलाश में है. शिखर धवन और मुरली विजय इनके कुछ करीब पहुंचे थे. दोनों ने 2013 से 2018 के बीच 1500 से ज्‍यादा रन बनाए, जिसमें दो शतकीय और पांच अर्धशतकीय साझेदारियां शामिल हैं. इसमें सर्वश्रेष्‍ठ साझेदारी 289 रन की थी. हालांकि, धवन और विजय का करियर 2018 में समाप्‍त हुआ. इन दोनों में से विजय का भाग्‍य ज्‍यादा चमकीला रहा कि उन्‍हें सहवाग के साथ ओपनिंग करने का मौका मिला था. 38 साल के विजय ने खुलासा किया कि सहवाग के साथ बल्‍लेबाजी करने के क्‍या मायने थे और ध्‍यान दिलाया कि अगर उन्‍हें वीरू जैसा समर्थन मिलता तो उनका करियर अलग स्‍तर पर होता. विजय ने डब्‍ल्‍यूवी रमन के साथ स्‍पोर्ट्स्‍टार के लिए बातचीत करते हुए कहा, ‘ईमानदारी की बात है कि मुझे वीरेंद्र सहवाग जैसी आजादी नहीं मिली. सहवाग को अपनी जिंदगी में जो कुछ भी मिला, वो मुझे नहीं मिला.’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘अगर मुझे सहवाग जैसा समर्थन मिलता और खुलकर मेरे साथ बातचीत की जाती, तो मैं भी आक्रामक होकर खेलने की कोशिश करता. ईमानदार बात यह है कि टीम का आपको कितना समर्थन प्राप्‍त है और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर आप कितना योगदान दे सकते हैं. यह उच्‍च स्‍तरीय प्रतिस्‍पर्धा है और आपको अलग से कुछ करने के ज्‍यादा मौके नहीं मिलते हैं. आपको निरंतर रहना होता है और आपको टीम की मांग के हिसाब से खुद को ढालना होता है.’ मुरली विजय ने आगे कहा, ‘जब सहवाग वहां थे, तो मुझे लगा कि अपने इरादों को नियंत्रित करना होगा. तब खेलना कठिन था, लेकिन जिस आजादी के साथ वो खेलते थे, वो शानदार था.’ विजय ने स्‍वीकार किया कि वो सहवाग की बल्‍लेबाजी के दीवाने थे. सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर को छोड़ दिया जाए तो कम ही लोग थे, जिन्‍हें दूसरे छोर से सहवाग की बल्‍लेबाजी देखने को मिलती थी. विजय उनमें से एक थे, जिसे दूसरे छोर पर खड़े होकर सहवाग को अपनी सर्वश्रेष्‍ठ लय में खेलते हुए देखने का मौका मिला. विजय ने कहा, ‘सिर्फ सहवाग ही ऐसा कर सकते थे. मेरे ख्‍याल से कोई और सहवाग की तरह नहीं खेल सकता है. उन्‍होंने भारतीय क्रिकेट के लिए जो किया, वो शानदार है. वो कुछ और ही थे, जिन्‍हें मैंने सामने से खेलते हुए देखा. मुझे उनसे बातचीत करने का मौका मिला. वो बहुत साधारण बातचीत करते थे. उनका मंत्र आसान था- गेंद को देखो और मारो. वो इस मोड में थे कि 145-150 किमी प्रति घंटे की गति से गेंद डालने वाले गेंदबाजों के खिलाफ गाने गाते हुए खेलते थे. आपको कुछ और ही अनुभव करने का मौका मिला. यह आम नहीं था.’

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