ABC NEWS: पंचांग के अनुसार आज यानि 6 अक्टूबर को अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और इस दिन जितिया व्रत रखा जाता है. जिसे जीवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व माना गया है. हालांकि, यह पूरे भारत में नहीं, बल्कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं 24 घंटे निर्जला व्रत करती हैं और अगले दिन 7 अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगी. आइए जानते हैं जितिया व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर होगा. इसलिए जितिया व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 7 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त शाम को 4 बजकर 34 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. कहते हैं कि शुभ मुहूर्त में की गई पूजा अधिक फलदायी होती है.
जितियाा व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व माना गया है और यह व्रत संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला रहकर भगवान की अराधना करती हैं और पूजा करती हैं. पूजा के बाद व्रत कथा सुनती हैं. कहते हैं कि इस व्रत को करने से बच्चे और परिवार के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
पूजा विधि
जीवित्पुत्रिका यानि जितिया व्रत दो दिन तक चलता है. पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर भोजन ग्रहण करती हैं. इसके बाद दिनभर कुछ नहीं खातीं. दूसरे दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पूजन करें और फिर दिनभर निर्जला व्रत करें. यह व्रत बिल्कुल छठ व्रत की तरह होता है. इस व्रत में भी तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है. तीसरे दिन भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाते हैं.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी