कर्नाटक के मंच से ममता-अखिलेश नदारद; विपक्षी एकजुटता को लगा बड़ा झटका?

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ABC NEWS: कर्नाटक में सिद्धारमैया की ताजपोशी हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने शनिवार दोपहर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसी के साथ वे दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने. कर्नाटक के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह बेंगलुरु के कांतिरावा फुटबॉल स्टेडियम में आयोजित हुआ. सिद्धा और शिवकुमार के अलावा शनिवार को कई पूर्व मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. इस दौरान पार्टी के तमाम आला नेताओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, जैसी कि आशा थी कि सिद्धा की ताजपोशी में तमाम विपक्ष मौजूद होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव इस दौरान नदारद दिखे.

कांग्रेस को बिग ब्रदर मानने को तैयार नहीं ममता-अखिलेश?
बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष की राग छोड़ने वाले नेताओं में ममता बनर्जी और अखिलेश यादव शीर्ष में हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर जमीन तलाश कर रही ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने एकजुट विपक्ष को लेकर तमाम क्षत्रपों को एकजुट करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस रहित विपक्ष की वकालत कर चुके इन नेताओं की कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में गैरमौजूद होने के पीछे स्थिति साफ है कि दोनों नेता किसी तरह से कांग्रेस को बिग ब्रदर मानने को तैयार नहीं. हालांकि, बीजेपी की हार के बाद खुशी जाहिर कर चुकीं ममता ने साफ कर दिया था कि उनकी लड़ाई हमेशा बीजेपी की खिलाफ रहेगी, इस दौरान उन्हें किसी का साथ मिलता है तो इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.

उधर कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के सीएम केसीआर, केरल के मुख्‍यमंत्री पी. विजयन, आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी, बसपा चीफ मायावती और बीजद चीफ और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को नहीं बुलाया है. इन पार्टियों से आखिर कांग्रेस ने दूरी क्यों बनाई? इसके मायने भी 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखे जा सकते हैं. वहीं एकजुट विपक्ष को लेकर ममता  केजरीवाल, केसीआर के साथ अपनी नजदीकियां जाहिर कर चुकी हैं.

सिद्धा की ताजपोशी में नहीं पहुंची दीदी
ममता बनर्जी आखिर कांग्रेस के इस बड़े इवेंट से क्यों कन्नी काटती नजर आईं? टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन के मुताबिक, सीएम ममता बनर्जी के बजाय टीएमसी सांसद डॉ. काकोली घोष दस्तीदार इस कार्यक्रम में शामिल हुईं. मगर सवाल है कि ममता क्यों नहीं सिद्धा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह पहुंची? ममता बनर्जी का कहना है कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल में टीएमसी को ऐसा ही समर्थन दे। ममता बनर्जी के बयान के बाद कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ममता के ऑफर को ठुकरा दिया और कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ किसी भी तरह के समझौते का सवाल ही नहीं उठता है.

क्या है अखिलेश-ममता के न पहुंचने के मायने?
सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, वाम नेता सीताराम येचुरी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई आला नेता मौजूद थे. ऐसे में कांग्रेस के बड़े इवेंट में न्योता देने के बाद भी अखिलेश यादव और ममता बनर्जी के पहुंचने पर विपक्षी एकता को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. विपक्षी एकता के सवाल पर कांग्रेस को लेकर अखिलेश और ममता के सुर एक से ही रहे हैं, ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के इस कदम से बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद को झटका लग सकता है.

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