ABC News: किसान भाई जीवामृत, बीजामृत और गौ आधारित प्राकृतिक खेती करें. इससे मिट्टी की जीवांश उर्वरक क्षमता बढ़ेगी और फसल गुणवत्ता युक्त होगी. जब फसल गुणवत्तापूर्ण होगी तो हमारा देश भी आत्मनिर्भर बन सकेगा. प्रदेश के कृषि कृषि शिक्षा अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने विष्णु के ढोढरपुर गांव में आयोजित प्राकृतिक खेती एवं नवाचार कार्यशाला में किसानों से यह बात कहीं. उन्होंने बताया इस वर्ष रबी सीजन शुरू होने से पहले ही सरकार 200000 किसानों को दलहन व तिलहन के बीजों की मिनी किट उपलब्ध कराएगी.
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने भी प्राकृतिक खेती के फायदे समझाये और सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती के लिए सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं की जानकारी दी. कृषि मंत्री ने सबसे पहले गांव में स्थित विकल्प फोरम में पहुंचकर संस्थापक विवेक चतुर्वेदी की ओर से की जा रही प्राकृतिक खेती के तौर-तरीकों को देखा. विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि किसान अगर गौ आधारित प्राकृतिक खेती करें तो आधुनिक खेती में बढ़ते रसायनों तथा कीटनाशकों का प्रयोग, जलती पराली, डीजल पेट्रोल की बढ़ती खपत व उससे होने वाले प्रदूषण, आवारा पशुओं की समस्या, गिरता जल स्तर व बंजर होती भूमि व खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्याओं से बचा जा सकता है. मंत्री ने बताया कि प्रगतिशील कृषक विवेक चतुर्वेदी (गुड्डा भैय्या) ने ऊसर भूमि को गौ-आधारित खेती के अपने प्रयास से हरा भरा व उपजाऊ बना दिया है. उनके इस प्रयास से प्रेरित होकर आइआइटी व आइआइएम जैसे संस्थानों से पढ़े कुछ युवाओं ने सौर शक्ति, पशु शक्ति और मानव शक्ति द्वारा चालित कई क्रांतिकारी मशीनों का निर्माण किया है और खेती में एक नयी परिकल्पना दी है. मंत्री ने किसानों के लिए ड्रोन से जीवामृत का फसलों पर छिड़काव भी कराया।कार्यशाला में झांसी से आये किसान श्याम बिहारी गुप्ता, बाँदा से आये प्रेम सिंह, औरैया से आए राधाकांत चौबे, बिठूर के विपिन शुक्ला ने भी अपने सुझाव दिए. चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी प्रस्तुति दी. इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरुण, विधायक अभिजीत सिंह सांगा, पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया, मंडलायुक्त डा राजशेखर, जिलाधिकारी विशाख जी, सीडीओ सुधीर कुमार आदि अधिकारी भी रहे.