ABC News: कानपुर में पिछले महीने गोरा कब्रिस्तान और फर्रुखाबाद के कायमगंज में मिले गिद्ध जल्द ही खुले आसमान में फिर से परवाज भरेंगे. चिड़ियाघर में इलाज के बाद अब दोनों स्वस्थ हैं. अगले सप्ताह इन्हें आजाद करने की तैयारी है. हालांकि इनके पंजों में चिप लगे छल्ले पहनाए जाएंगे. ये छल्ले बांबे नेचुरल सोसाइटी ने भेजे हैं.
इससे उनकी लोकेशन पता चलती रहेगी. ये प्रयास गिद्धों के संरक्षण के लिए किए जा रहे हैं, क्योंकि गिद्ध विलुप्त हो रहे हैं. चिड़ियाघर के डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि आसमान में उड़ते-उड़ते अचानक जमीन पर आ गिरे गिद्ध दहशत में थे. 14 दिन क्वारंटीन में रखने के साथ ही दोनों का इलाज किया गया. एक सप्ताह से दोनों एक ही पिंजड़े में हैं. अब इन्हें अगले सप्ताह छोड़ा जाएगा. चिप लगे छल्ले पहनाने से ये गिद्ध भारत के किसी भी प्रदेश में होंगे, लेकिन उनकी लोकेशन पता चलती रहेगी. छल्ले के अंदर लगी चिप से नैनो फ्रीक्वेंसी निकलती है. इसकी मदद से इन्हें ट्रेस किया जाएगा. वरिष्ठ जीव विज्ञानी एवं बांबे नेचुरल सोसाइटी की अलका दुबे का कहना है कि कायमगंज में मिला गिद्ध यूरेशिया से आया था. यह विलुप्त प्रजाति में शामिल है. वहीं कब्रिस्तान में मिला गिद्ध हिमालयन प्रजाति का है. यह भारत की विलुप्त प्रजाति में शामिल हैं. पर्यावरण संतुलन के लिए और इनकी प्रजाति को बचाने के लिए इन पर नजर रखी जा रही है.
गिद्धों की नौ प्रजातियां
रेंजर नावेद इकराम ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं.सफेद दुम वाले जिप्स बेंगालेंसिस, लंबे चोंच वाले जी. इंडिकस, पतले चोंच वाले जी. टेनुइरोस्ट्रिस, लाल सिर वाले सरकोजिप्स कैल्वस, मिस्र देशीय गिद्ध नियोफ्रॉन पर्कनोप्टेरस, हिमालयन ग्रिफॉन जिप्स हिमालयेंसिस, सिनेरस गिद्ध एजिपियस मोनाचस, दाढ़ी वाले गिद्ध जिपेटस बारबेटस और यूरेशियन ग्रिफॉन जिप्स फुल्वस.
99.5 फीसदी विलुप्त हो गए सफेद दुम वाले गिद्ध
1990 से 2007 के दौरान, 99.5 प्रतिशत सफेद दुम वाले गिद्ध गायब हो गए और अब भारत में उनकी संख्या केवल 6,000 रह गई है. इस लुप्त प्राय गिद्ध को अब क्रिटिकली ऐनदेनजर्द प्राणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसी तरह की स्थिति लंबेे बिल वाले गिद्धों को भी करना पड़ रहा है. इनकी आबादी में लगभग 97 प्रतिशत की गिरावट आई है. अब ये गिद्ध 30,000 के आसपास हैं.