ABC NEWS: यूपी नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी. इसके पहले इस मामले में दाखिल जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी थी. यदि शुक्रवार को भी सुनवाई टली तो फिर यूपी नगर निकाय चुनाव के लंबा टलने की आशंका है. कोर्ट में शीतकालीन अवकाश होने जा रहा है. 24 दिसंबर के बाद हाईकोर्ट में 31 दिसम्बर तक अवकाश रहेगा. एक जनवरी 2023 को रविवार है. जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट खुलने के दिन ही फैसला आ जाए तो भी चुनाव होने में कम से कम एक से डेढ़ महीने का वक्त लग जाएगा. जाहिर है, चुनाव में देरी से सियासी दलों को तैयारी का थोड़ा अधिक मौका तो मिलेगा लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल दावेदारों को आने वाली है। वे असमंजस की स्थिति में हैं.
2017 के नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना 28 अक्टूबर को जारी हुई थी और पहले चरण की वोटिंग 22 नवम्बर को हुई. 26 को दूसरे चरण और 29 नवम्बर को तीसरे चरण के लिए मतदान हुआ था. वोटों की गिनती एक दिसम्बर को हुई थी. जाहिर है कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना जारी होने से मतदान के बीच में कम से कम एक महीने का वक्त लगेगा. एक पेंच यह भी है कि 16 फरवरी से 28 फरवरी तक बोर्ड के प्रैक्टिकल एग्जाम होने हैं. सभी कक्षाओं में कोर्स पूरा करने की अंतिम तारीख 20 जनवरी है. जनवरी के तीसरे हफ्ते में प्री-बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं शुरू होंगी. एक से 15 फरवरी तक प्री-बोर्ड परीक्षाएं होंगी. मार्च में बोर्ड परीक्षा होगी.
इन्हीं बातों को मद्देनजर रखते हुए कहा जा रहा है कि यदि चुनाव को लेकर फैसला और टला तो फिर इसे लंबा टालना पड़ सकता है. इस मामले को लेकर कोर्ट में एक ही बार कई याचिकाएं डाली गई हैं. कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर रोक का आदेश 12 दिसम्बर को दिया था. हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में रैपिड सर्वे के आधार पर यूपी सरकार द्वारा तैयार ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई है.
आयोग ने कर रखी है तैयारी
वैसे राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारियां पूरी कर चुका है. बताया जा रहा है कोर्ट से फैसला आने के एक, दो दिन बाद ही आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है.
चुनावों को लेकर दावेदार चिंतित
निकाय चुनाव के दावेदार चुनावों को लेकर चिंतित हैं. वे पार्टी नेताओं से पूछ रहे हैं कि चुनाव होंगे या टलेंगे. नेता भी फिलहाल साफ तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं. वे इस मामले में हाईकोर्ट से स्थिति स्पष्ट होने की बात कह रहे हैं. वहीं कई नेता दबी जुबान में चुनाव टलने की संभावनाएं भी जता रहे हैं. इन सब के बीच पार्टी कार्यालयों में तमाम नेता और नेत्रियां कुछ निकटस्थों के साथ अपनी पैरवी के लिए जमा हो रहे हैं. सबसे ज्यादा मारा-मारी मेयर और जिला मुख्यालय वाली बड़ी पालिकाओं के चेयरमैन पद को लेकर है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लखनऊ में दावेदारों का आंकड़ा तीन दर्जन तक पहुंच चुका है.