शनिदेव का वाहन कैसे बन गया कौवा, क्यों हैं उनके लिए सबसे खास ? जानें पौराणिक कथा

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ABC NEWS: सनातन धर्म में भगवान शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त थे. शनिदेव न सिर्फ व्यक्ति को उसके कर्मों का उचित फल देते हैं, बल्कि ऐसी मान्यता है कि अच्छे कर्मों पर व्यक्ति पर अपनी कृपा भी बरसाते हैं. उन्हें आमतौर पर हाथों में तलवार और धनुष के साथ दिखाया जाता है, जो दंड देने और न्याय लाने की उनकी क्षमता का प्रतीक है.

शनिदेव को कौवे के ऊपर सवार देखा जाता है, लेकिन शनिदेव के एक नहीं बल्कि 9 वाहन हैं. हर वाहन अपना एक रहस्य है.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, शनिदेव का वाहन कौवा, सबसे चालाक प्राणियों में से एक है. यह न सिर्फ खतरे को आसानी से भांप सकता है बल्कि यह जहां रहता है वहां सुख और प्रसन्नता का वास रहता है. मान्यता यह भी है कि शनिदेव का कृपा से कौवा कभी बीमार नहीं पड़ता है.

कौवा कैसे बना शनि की सवारी?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य की पत्नी संध्या उनका ताप नहीं झेल पा रही थी इसलिए उन्होंने अपना छाया का निर्माण किया और अपने दोनों बच्चों यम और यमुना को छाया के पास छोड़कर तप करने चली गई. जब तक संध्या की तपस्या समाप्त हुई तब तक छाया की सूर्यदेव से शनिदेव की प्राप्ति हो चुकी थी. जब संध्या को इस बारे में पता चला तो वे बहुत क्रोधित हुईं, हालांकि तब तक सूर्य भगवान शनिदेव और छाया का परित्याग कर चुके थे.

संध्या और सूर्यदेव के इस व्यवहार से दुखी होकर छाया शनिदेव के साथ वन में चली गईं. जब सूर्य देव को छाया और शनिदेव के वन में रहने का पता चला तो उन्होंने उन दोनों को मारने के लिए वन में आग लगी दी जिसके बाद छाया परछाई होने के कारण आग से निकल गईं लेकिन शनिदेव आग में फंस गए जिसके बाद उनके साथ रहने वाले एक कौवे ने शनिदेव को उस आग से निकाला था. यही कारण है कि कौवा शनिदेव का प्रिय हो गया जिसके बाद उन्होंने कौवे को अपना वाहन बना लिया.

एक दिन कौवा शनिदेव को लेकर अपने काकलोक पहुंचा, कौए की माता ने शनि को पुत्र संबोधित कर खूब प्यार दुलार दिया. कौए ने अपनी माता से शनिदेव को अपने साथ रखने की प्रार्थना की तो उसकी प्रार्थना करने पर वह उनको साथ रखने के लिए मान गईं जिसके बाद शनिदेव ने कौवे को अपना वाहन बना लिया.

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